तर्ज-माई रे माई……
आओ हम सब मिलकर, गुरु के पद में शीश नमाएँ।
अभिनन्दन सागराचार्य का, दीक्षा दिवस मनाएँ।।
बोलो जय जय जय, मुनि दीक्षा उत्सव की जय।।टेक.।।
सदी बीसवीं के श्री प्रथमाचार्य, शांतिसागर थे।
पुन: वीर-शिव-धर्म तथा, आचार्य अजितसागर थे।।
पंचम पट्टाचार्य पुन:, श्रेयांस सिंधु कहलाए।
अभिनन्दन सागराचार्य का, दीक्षा दिवस मनाएँ।।
बोलो जय जय जय, मुनि दीक्षा उत्सव की जय।।१।।
इसी मूल आचार्य शृँखला के, आचार्य हैं षष्ठम।
अभिनन्दनसागर मुनिवर, आचार्य प्रवर हैं उत्तम।।
वर्तमान के पट्टाचार्य ये, संघ का मान बढ़ाएँ।
अभिनंदन सागराचार्य का, दीक्षा दिवस मनाएँ।।
बोलो जय जय जय, मुनि दीक्षा उत्सव की जय।।२।।
शांतिसिंधु से अभिनंदन तक, सात पीढियाँ हैं ये।
गणिनीप्रमुख ज्ञानमति माताजी, ने सब देखी हैं।।
विनय पुष्प ‘‘चन्दनामती’’ ले, गुरुचरणों में चढ़ाएँ।
अभिनन्दनसागराचार्य का, दीक्षा दिवस मनाएँ।।
बोलो जय जय जय, मुनि दीक्षा उत्सव की जय।।३।।