तर्ज-दीवाना गुरुवर का…..
आरती गुरुवर की-आरती मुनिवर की,
करें सभी मिल आज आरती गुरुवर की।।टेक.।।
श्री आचार्यप्रवर कहलाए, अभिनंदनसागर जी।
संघ चतुर्विध के नायक ये, गुणमणि रत्नाकर भी।।
धर्मसिन्धु आचार्यरत्न के शिष्य प्रथम हैं आप,
आरती गुरुवर की, आरती मुनिवर की,
करें सभी मिल आज आरती गुरुवर की।।१।।
नगर शेषपुर माँ रूपाबाई की आँख के तारे।
पिता अमरचंद जी के तुम धनराज पुत्र हो प्यारे।।
धार्मिक संस्कारों में बचपन से ही पले हो आप,
आरती गुरुवर की-आरती मुनिवर की,
करें सभी मिल आज आरती गुरुवर की।।२।।
छत्तिस मूलगुणों के धारी, संघ चतुर्विध नायक।
नमन ‘‘चन्दनामती’’ वचन मन, काया से है नितप्रति।।
शांति सिन्धु की परम्परा के वर्तमान आचार्य,
आरती गुरुवर की, आरती मुनिवर की,
करें सभी मिल आज आरती गुरुवर की।।३।।