व्रत की विधि—
जैनधर्म अनादि है अत: तीर्थंकर परंपरा भी अनादि है। फिर भी इस युग की अपेक्षा कर्मभूमि के प्रारंभ में प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव हुये हैं। इन प्रभु का नाम स्मरण ही संपूर्ण पापों का नाश करके महान पुण्य का संचय करने वाला है। इनके व्रतों में प्रभु के ४६ मुख्य एवं अन्य गुण तथा ४८ प्रकार के उपद्रव—संकट दूर करने के मंत्र हैं जो अत्यधिक महिमापूर्ण हैं। इस व्रत को करने से सर्व संकटों से छुटकारा मिलेगा एवं परंपरा से सर्वसिद्धि प्राप्त होगी।
श्री ऋषभदेव व्रत में १०८ व्रत हैं।
४६ गुणों के ४६ व्रत, अन्य ६ व्रत, सर्वसंकटहर ४८ व्रत, सिद्धावस्था के ८ व्रत। इस प्रकार कुल मिलाकर ४६ ± ६ ± ४८ ± ८ · १०८ व्रत हैं। यह व्रत अष्टमी, चतुर्दशी आदि किसी भी तिथि में कभी भी कर सकते हैं।उत्कृष्ट व्रत विधि में उपवास, मध्यमव्रत में एक बार अल्पाहार व जघन्यव्रत में दिन में एक बार शुद्ध भोजन—एकाशन करना है। व्रत के दिन भगवान का पंचामृत अभिषेक करके ऋषभदेव की पूजा करें। त्रिकाल में तीन बार व्रत के मंत्र का जाप्य करें। अथवा एक माला समुच्चय मंत्र की व एक माला व्रत के मंत्र की अवश्य करें।व्रत पूर्ण करके इसका उद्यापन करें। उसमें भगवान ऋषभदेव की छोटी या बड़ी प्रतिमा की प्रतिष्ठा करावें। भगवान ऋषभदेव की जन्मभूमि अयोध्या, दीक्षा व केवलज्ञान भूमि प्रयाग तथा प्रथम आहारभूमि हस्तिनापुर इन तीर्थों की वंदना करें। यदि इतनी शक्ति नहीं हो तो यथाशक्ति उद्यापन करें। उद्यापन में ऋषभदेव समवसरण विधान या ऋषभदेव विधान अवश्य करें।
ॐ ह्रीं श्रीऋषभदेवाय सर्वसिद्धिकराय सर्वसौख्यं कुरु कुरु ह्रीं नम:।
या
ॐ ह्रीं अर्हं श्री ऋषभदेवाय नम:।
ॐ ह्रीं नि:स्वेदत्वसहजातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्दर्शनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१।।
ॐ ह्रीं मलरहितसहजातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्दर्शनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२।।
ॐ ह्रीं क्षीरसमरुधिरसहजातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्दर्शनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३।।
ॐ ह्रीं वङ्काऋषभनाराचसंहननसहजातिशयगुणमंडिताय अतिशायिसम्यग्दर्शनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४।।
ॐ ह्रीं समचतुरस्रसंस्थानसहजातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्दर्शनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।५।।
ॐ ह्रीं अनुपमरूपसहजातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्दर्शनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।६।।
ॐ ह्रीं सौगन्ध्यसहजातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्दर्शनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।७।।
ॐ ह्रीं अष्टोत्तरसहस्रशुभलक्षणसहजातिशयगुणमंडिताय अतिशायिसम्यग्दर्शनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।८।।
ॐ ह्रीं अनंतबलवीर्यसहजातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्दर्शनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।९।।
ॐ ह्रीं प्रियहितमितमधुरवचनसहजातिशयगुणमंडिताय अतिशायिसम्यग्दर्शनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१०।।
ॐ ह्रीं गव्यूतिशतचतुष्टयसुभिक्षताकेवलज्ञानातिशयगुणमंडिताय अतिशायिसम्यग्ज्ञानफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।११।।
ॐ ह्रीं गगनगमनत्वकेवलज्ञानातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्ज्ञानफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१२।।
ॐ ह्रीं प्राणिवधाभावकेवलज्ञानातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्ज्ञानफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१३।।
ॐ ह्रीं कवलाहाराभावकेवलज्ञानातिशयगुणमंडिताय अति-शायिसम्यग्ज्ञानफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१४।।
ॐ ह्रीं उपसर्गाभावकेवलज्ञानातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्ज्ञानफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१५।।
ॐ ह्रीं चतुर्मुखत्वकेवलज्ञानातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्ज्ञानफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१६।।
ॐ ह्रीं छायारहितकेवलज्ञानातिशयगुणमंडिताय अतिशायि—सम्यग्ज्ञानफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१७।।
ॐ ह्रीं पक्ष्मस्पंदरहितकेवलज्ञानातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्ज्ञानफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१८।।
ॐ ह्रीं सर्वविद्येश्वरताकेवलज्ञानातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यग्ज्ञानफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१९।।
ॐ ह्रीं नखकेशवृद्धिरहितकेवलज्ञानातिशयगुणमंडिताय अति-शायिसम्यग्ज्ञानफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२०।।
ॐ ह्रीं अक्षरानक्षरात्मकसर्वभाषामयदिव्यध्वनिकेवलज्ञानाति-शयगुणमंडिताय अतिशायिसम्यग्ज्ञानफलप्रदाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।२१।।
ॐ ह्रीं सर्वर्तुफलादिशोभिततरूपरिणाम-देवोपनीतातिशयगुण-मंडिताय अतिशायिसम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।२२।।
ॐ ह्रीं वायुकुमारोपशमितधूलकंटकादि-देवोपनीतातिशय-गुणमंडिताय अतिशायिसम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभ-देवतीर्थंकराय नम:।।२३।।
ॐ ह्रीं सर्वजनमैत्रीभावदेवोपनीतातिशयगुणमंडिताय अति-शायिसम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२४।।
ॐ ह्रीं आदर्शतलप्रतिमारत्नमयीमहीदेवोपनीतातिशयगुण-मंडिताय अतिशायिसम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।२५।।
ॐ ह्रीं मेघकुमारकृतगंधोदकवृष्टि-देवोपनीतातिशयगुण-मंडिताय अतिशायिसम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।२६।।
ॐ ह्रीं फलभारनम्रशालि-देवोपनीतातिशयगुणमंडिताय अतिशायि-सम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२७।।
ॐ ह्रीं सर्वजनपरमानन्दत्व-देवोपनीतातिशयगुणमंडिताय अतिशााfयसम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२८।।
ॐ ह्रीं अनुकूलविहरणवायुत्व-देवोपनीतातिशयगुणमंडिताय अतिशायिसम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२९।।
ॐ ह्रीं निर्मलजलपूर्णकूपसरोवरादि-देवोपनीतातिशयगुण-मंडिताय अतिशायिसम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।३०।।
ॐ ह्रीं शरत्कालवन्निर्मलाकाश-देवोपनीतातिशय-गुणमंडिताय अतिशायिसम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३१।।
ॐ ह्रीं सर्वजनरोगशोकबाधारहितत्व-देवोपनीतातिशय-गुणमंडिताय अतिशायिसम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।३२।।
ॐ ह्रीं यक्षेन्द्रमस्तकोपरिस्थितधर्मचक्रचतुष्टय-देवोपनीताति-शयगुणमंडिताय अतिशायिसम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३३।।
ॐ ह्रीं तीर्थंकरदेवचरणकमलतलस्वर्णकमलरचना-देवोपनी-तातिशयगुणमंडिताय अतिशायिसम्यक्चारित्रफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३४।।
ॐ ह्रीं अशोकवृक्षमहाप्रातिहार्यगुणमंडिताय वरप्रातिहार्य-शोभनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३५।।
ॐ ह्रीं छत्रत्रयमहाप्रातिहार्यगुणमंडिताय वरप्रातिहार्य-शोभनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३६।।
ॐ ह्रीं सिंहासनमहाप्रातिहार्यगुणमंडिताय वरप्रातिहार्य-शोभनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३७।।
ॐ ह्रीं द्वादशगणपरिवेष्टितमहाप्रातिहार्यगुणमंडिताय वरप्राति-हार्यशोभनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३८।।
ॐ ह्रीं देवदुंदुभिमहाप्रातिहार्यगुणमंडिताय वरप्रातिहार्य-शोभनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३९।।
ॐ ह्रीं सुरपुष्पवृष्टिमहाप्रातिहार्यगुणमंडिताय वरप्रातिहार्य-शोभनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४०।।
ॐ ह्रीं भामण्डलमहाप्रातिहार्यगुणमंडिताय वरप्रातिहार्य-शोभनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४१।।
ॐ ह्रीं चतु:षष्टिचामरमहाप्रातिहार्यगुणमंडिताय वरप्राति-हार्यशोभनफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४२।।
ॐ ह्रीं अनंतज्ञानगुणसमन्विताय तथैवफलप्रदाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।४३।।
ॐ ह्रीं अनंतदर्शनगुणसमन्विताय तथैवफलप्रदाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।४४।।
ॐ ह्रीं अनंतसौख्यगुणसमन्विताय तथैवफलप्रदाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।४५।।
ॐ ह्रीं अनंतवीर्यगुणसमन्विताय तथैवफलप्रदाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।४६।।
ॐ ह्रीं श्रीऋषभसेनादिचतुरशीतिगणधरगुरुवंदितपादपद्माय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१।।
ॐ ह्रीं चतुरशीतिसहस्रऋषिगणवंदितपादपद्माय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।२।।
ॐ ह्रीं श्रीब्राह्मीगणिनीप्रमुखत्रयलक्षपंचाशत्सहस्रार्यिका-वंदितपादपद्माय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३।।
ॐ ह्रीं गोमुखयक्षचक्रेश्वरीयक्षीशासनदेवदेवीवंदित-पादपद्माय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४।।
ॐ ह्रीं असंख्यातदेवदेवीवंदितपादपद्माय श्रीऋषभ-देवतीर्थंकराय नम:।।५।।
ॐ ह्रीं त्रिलक्षश्रावकपंचलक्षश्राविकावंदितपादपद्माय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।६।।
ॐ ह्रीं अतिवृष्टि-उपद्रवनाशनसमर्थाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१।।
ॐ ह्रीं अनावृष्टि-उपद्रवनाशनसमर्थाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२।।
ॐ ह्रीं दुर्भिक्षोपद्रवनाशनसमर्थाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३।।
ॐ ह्रीं चोरलुंटकादि-उपद्रवनिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४।।
ॐ ह्रीं आयकरादिराज्यभयोपद्रवनिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:। ।५।।
ॐ ह्रीं दारिद्रदु:खविनाशकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।६।।
ॐ ह्रीं ज्वरशूलरोगादिनिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।७।।
ॐ ह्रीं कामलाकुष्ठजलोदरभगंदरादिव्याधिनाशकाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम: ।।८।।
ॐ ह्रीं नानाविधनेत्ररोगविनाशकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।९।।
ॐ ह्रीं प्राणघातिवैâन्सरमहाव्याधिविनाशकाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।१०।।
ॐ ह्रीं हृदयरोगपीड़ानिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।११।।
ॐ ह्रीं कुरूपादिकष्टनिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१२।।
ॐ ह्रीं प्राणघातक-इष्टवियोगजदु:खनाशकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१३।।
ॐ ह्रीं अनिष्टसंयोगमहादु:खशातनाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१४।।
ॐ ह्रीं सर्वमानसिककष्टविनाशकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१५।।
ॐ ह्रीं सर्ववाचनिककष्टनिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१६।।
ॐ ह्रीं नानाविधकायिककष्टशातनाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१७।।
ॐ ह्रीं सर्ववायुयानदुर्घटनाकष्टनिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:। ।१८।।
ॐ ह्रीं सर्वलौहपथगामिनीदुर्घटनादिभयनिवारकाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।१९।।
ॐ ह्रीं सर्वचतुष्चक्रिकादुर्घटनादिसंकटमोचनाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२०।।
ॐ ह्रीं सर्वत्रिचक्रिकादुर्घटनादिकष्टनिवारकाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।२१।।
ॐ ह्रीं सर्वद्विचक्रिकादुर्घटनातंकनिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२२।।
ॐ ह्रीं भूकम्पदुर्घटनानिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२३।।
ॐ ह्रीं नदीपूरप्रवाहसंकटमोचनाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२४।।
ॐ ह्रीं नदीसमुद्रादिपतनकष्टनिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२५।।
ॐ ह्रीं वृश्चिकसर्पादिविषधरनिर्णाशनाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२६।।
ॐ ह्रीं अष्टापदव्याघ्रिंसहादिक्रूरिंहसकजंतुभयनिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२७।।
ॐ ह्रीं गजाश्वगोवृषभादिप्राणिगणभयविनाशकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२८।।
ॐ ह्रीं विषाक्तवाष्पक्षरणादिसंकटनिवारकाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।२९।।
ॐ ह्रीं वाष्पचुल्लिकादिदुर्घटनाकष्टनिवारकाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।३०।।
ॐ ह्रीं बमविस्फोटकादि-आकस्मिकसंव्ाâटनिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३१।।
ॐ ह्रीं आतंकवादिजनकृत-आकस्मिकमरणादिभयविनाशकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३२।।
ॐ ह्रीं कुसंतानकष्टनिवारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३३।।
ॐ ह्रीं कूपनदीपतनविषादिभक्षणनिमित्तापघातभावनिवारणाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३४।।
ॐ ह्रीं नानाविधदुर्घटनादिभिरकालमृत्युनिवारणाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।३५।।
ॐ ह्रीं भूतपिशाचव्यंतरादिबाधानिवारकाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।३६।।
ॐ ह्रीं बहुविधव्यापारसफलताकारकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३७।।
ॐ ह्रीं उभयकुलकमलविकासिनी-धर्मपत्नीप्रापकपुण्यप्रदायकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३८।।
ॐ ह्रीं पुत्रपौत्रादिकुलदीपकसंततिप्रापकपुण्यप्रदायकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३९।।
ॐ ह्रीं दीर्घायुप्रापकपुण्यप्रदायकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४०।।
ॐ ह्रीं चतुर्दिक््âकीर्तिसौरभव्यापकपुण्यप्रापकाय श्रीऋषभदेव-तीर्थंकराय नम:।।४१।।
ॐ ह्रीं राज्यमान्यतादिप्रशंसनगुणप्रापकपुण्यप्रदायकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४२।।
ॐ ह्रीं आज्ञापालनविभवप्रदायकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४३।।
ॐ ह्रीं अन्त्यसमाधिमरणफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४४।।
ॐ ह्रीं व्यवहारनिश्चयरत्नत्रयप्रदायकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४५।।
ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशधर्मप्रदायकाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४६।।
ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्ध्यादिसोलहकारणभावनाफलप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४७।।
ॐ ह्रीं अन्तरात्मस्वरूपनिजशुद्धात्मध्यानकारिपदप्रदाय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४८।।
ॐ ह्रीं मोहनीयकर्मविघातकाय तथैवकर्मनाशनशक्तिप्रदाय सम्यक्त्वगुणसहिताय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।१।।
ॐ ह्रीं ज्ञानावरणकर्मविघातकाय तथैवकर्मनाशनशक्तिप्रदाय ज्ञानगुणसहिताय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।२।।
ॐ ह्रीं दर्शनावरणकर्मविघातकाय तथैवकर्मनाशनशक्तिप्रदाय दर्शनगुणसहिताय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।३।।
ॐ ह्रीं अन्तरायकर्मविघातकाय तथैवकर्मनाशनशक्तिप्रदाय वीर्यगुणसहिताय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।४।।
ॐ ह्रीं ्नाामकर्मविघातकाय तथैवकर्मनाशनशक्तिप्रदाय सूक्ष्मगुणसहिताय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।५।।
ॐ ह्रीं आयुकर्मविघातकाय तथैवकर्मनाशनशक्तिप्रदाय अवगाहनगुणसहिताय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।६।।
ॐ ह्रीं गोत्रकर्मविघातकाय तथैवकर्मनाशनशक्तिप्रदाय अगुरुलघुगुणसहिताय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।७।।
ॐ ह्रीं वेदनीयकर्मविघातकाय तथैवकर्मनाशनशक्तिप्रदाय अब्याबाधगुणसहिताय श्रीऋषभदेवतीर्थंकराय नम:।।८।।