श्री ऋषभदेव एवं भरत चक्रवर्ती के समय अड़तालिस हजार मील लम्बी व ३६ हजार मील चौड़ी अयोध्या थी। श्री राम के समय उनके आत्मांगुल से होने से ही उसमें ७० करोड़ की आबादी होना संभव है, जैसा कि जैन रामायण-पद्मपुराण में वर्णित है।भगवान के समय इतनी बड़ी न मानें, तो उनका वैभव व चक्रवर्ती का वैभव वैâसे उसमें आयेगा।ऐसे ही प्रभु शांतिनाथ के समय भी हस्तिनापुर भगवान के आत्मांगुल से लेने से चक्रवर्ती का वैभव समा जायेगा।ऐरावत हाथी का वर्णन व जन्माभिषेक के समय इंद्रों की सेना आदि वैभव सहित आगमन भी विशेष अवगाहना का ही माहात्म्य है। देखिए-जम्बूद्वीपपण्णत्ति व सिद्धांतसार दीपक ग्रंथ।इनमें जो वर्णन है वह श्रद्धा का-आस्तिक्य भावना का ही विषय है।