तर्ज—बहारो फूल बरसाओ………..
जलाकर दीप खुशियों के, हम आरति करने आए हैं। हम……
तेरी इस ज्ञान सरिता से, सुधारस भरने आए हैं।। सुधा….।।टेक.।।
पिता-माता की ममता तज, जगत का प्यार पाया है।
गुरु श्री वीरसागर से, ज्ञानमति नाम पाया है।।
तेरी उस ज्ञानमय प्रतिभा, का दर्शन करने आए हैं।
हाँ दर्शन…………..जलाकर दीप…………..।।१।।
सुना है तेरे तप में भी, विशल्या जैसी शक्ती है।
तेरे पूजा विधानों ने, दिखा दी तेरी भक्ति है।।
उसी तप शक्ति, भक्ती का, हाँ दर्शन करने आए हैं।
हाँ दर्शन…………..जलाकर दीप…………..।।२।।
मेरी इस काव्यमय लघु आरती, में शब्दों का घृत है।
भाव हैं ‘‘चंदनामति’’ ये, मिले श्रुतज्ञान अमृत है।।
इसी विश्वास में हे माँ, तेरे पे हम आए हैं।
तेरे दर पे…………..जलाकर दीप…………..।।३।।