यहाँ श्री ऋषभदेव के महामस्तकाभिषेक के समय मैंने इसे ‘‘विश्वशांति केन्द्र’’ के नाम से घोषित किया है। यहाँ पर विश्वशांति मंत्र का उच्चारण चलता रहेगा-‘‘ॐ ह्रीं विश्वशांतिकराय श्री ऋषभदेवाय नम:’’।
(१) यहाँ अयोध्या में भगवान ऋषभदेव के एक सौ एक पुत्र भरत चक्रवर्ती आदि जो मोक्ष प्राप्त कर चुके हैं, उनका मंदिर बन रहा है।
(२) भरत चक्रवर्ती की प्रतिमा २१ फुट खड्गासन प्रतिमा विराजमान हो चुकी है, जिनके नाम से हमारे देश का नाम ‘भारत’ है।
(३) भरत चक्रवर्ती के ‘‘विवर्द्धन कुमार’’ आदि नव सौ तेईस (९२३) पुत्रों ने भगवान के समवसरण में जैनेश्वरी दीक्षा लेकर उसी भव से मोक्ष प्राप्त किया है। इनकी प्रतिमाएं स्थापित होंगी। एक स्तूप में ये बनेंगी।
(४) तीस चौबीसी मंदिर बन रहा है।
(५) तीन लोक रचना बन रही है।
(६) सर्वतोभद्र महल बनेगा।
श्री ऋषभदेव आदि तीर्थंकरों के जीवन दर्शन से संबंधित प्रदर्शनी-म्यूजियम आदि चलचित्र आदि द्वारा भगवन्तों के जीवन परिचय के साथ उनके सिद्धान्तों का भी प्रचार-प्रसार होता रहेगा। ‘अहिंसा परमो धर्म:’ की जयपताका फहराती रहेगी। व्यसनों से मुक्त शाकाहारी जीवन बनाने की प्रेरणा व प्रभुभक्ति की प्रेरणा मिलती रहेगी। यह मेरी भावना सफल होवे, इसी भावना के साथ-ऐसे पवित्र पूज्य शाश्वत तीर्थ अयोध्या को कोटि-कोटि नमन करते हुए युग की आदि में जन्में भगवान श्री ऋषभदेव को एवं श्री अजितनाथ, श्री अभिनंदननाथ, श्री सुमतिनाथ एवं श्री अनंतनाथ तीर्थंकर भगवन्तों को अनंत-अनंत बार नमन करते हुए यहाँ पर जन्म लेकर सिद्ध परमात्मपद को प्राप्त असंख्यातों सिद्ध परमेष्ठी भगवन्तों को असंख्यातों बार नमस्कार करती हूँ।