—चौपाई—
पूर्व विदेह क्षेत्र अमलान।
पुण्डरीकिणी नगरी जान।
पिता विजय राजा गुणवान।
माता विजया सुर नर मान्य।।१।।
जन्में तीर्थंकर भगवान।
नाम विशालकीर्ति गुणखान।
सुर जन्मोत्सव किया अपार।
नमत प्रभू को हर्ष अपार।।२।।
शशी चिन्ह प्रभु राज्य करंत।
पुन: विरक्त भये भगवंत।
इंद्र करें उत्सव गुरु मान्य।
नमूँ प्रभू का तप कल्याण।।३।
दीक्षा तरु नीचे धर ध्यान।
प्रभु ने पाया केवलज्ञान।
पांच सहस धनु अधर जिनेश।
नमूँ ज्ञानकल्याण हमेश।।४।।
कर्म नाश करके शिवकांत।
प्रभू बनेंगे अक्षय नान्त।
संप्रति मैं पूजूँ जग सिद्ध।
नमूँ मोक्षकल्याण प्रसिद्ध।।५।।