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श्री आचार्य वीरसागर की, ज्ञानवाटिका प्यारी!
June 13, 2020
भजन
jambudweep
श्री आचार्य वीरसागर की
तर्ज-माई रे माई……..
श्री आचार्य वीरसागर की, ज्ञानवाटिका प्यारी।
उनके ज्ञान पुष्प से तुम, महका लो अपनी क्यारी।।
जय हो वीर सिन्धु की जय, जय हो वीर सिंधु की जय.।।टेक.।।
सदी बीसवीं के श्री प्रथमाचार्य शान्तिसागर हैं।
उनके प्रथम शिष्य व पट्टाचार्य वीरसागर हैं।।
उनकी शिष्या ज्ञानमती जी की, महिमा बड़ी निराली।
उनके ज्ञानपुष्प से तुम, महका लो अपनी क्यारी।।
जय हो वीरसिन्धु की जय……..४।।१।।
महाराष्ट्र के वीर ग्राम में, जन्म हुआ था इनका।
शान्तिसिंधु के दर्शन करके धन्य किया तन मन था।।
बाल ब्रह्मचारी यति बनकर, किया तपस्या भारी।
उनके ज्ञान पुष्प से तुम, महका लो अपनी क्यारी।।
जय हो वीरसिन्धु की जय……..४।।२।।
शरदपूर्णिमा दो हजार ग्यारह को दीप जलाया।
गणिनी माता ज्ञानमती ने नूतन वर्ष चलाया।।
इसीलिए ‘चन्दनामती’ इस वर्ष की महिमा निराली।
उनके ज्ञान पुष्प से तुम, महका लो अपनी क्यारी।।
जय हो वीरसिन्धु की जय……..४।।३।।
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