वर्तमान जैन शासन एवं जैन आगम की आधारशिला है—भगवान महावीर की दिव्यध्वनि, जिसका प्रादुर्भाव हुआ आज से २५७० वर्ष पूर्व श्रावण कृ. एकम् के शुभ दिवस, जब भगवान को केवलज्ञान प्राप्ति के ६६ दिन पश्चात् इंद्रभूति गौतम ने भगवान का शिष्यत्व स्वीकार कर भगवान के समवसरण में जैनेश्वरी दीक्षा धारण करके प्रथम गणधर का पद प्राप्त किया। हम सभी का महान सौभाग्य है कि हमें आज के इस पंचम काल में भी उन्हीं गौतम गणधर स्वामी की चतुर्थकालीन वाणी उपलब्ध है, जिन्होंने ३० वर्ष तक भगवान के साक्षात् चरण सान्निध्य में रहकर भगवान की दिव्यध्वनि का पान किया एवं उस दिव्यध्वनि को द्वादशांगरूप श्रुत में निबद्ध किया। गौतम गणधर स्वामी की वाणी चैत्यभक्ति, वीरभक्ति, गणधरवलय मंत्र, प्रतिक्रमण सूत्र आदि के रूप में हमें महान धरोहर के समान प्राप्त हुई है। यह वाणी मात्र साधुवर्ग के लिए ही नहीं तथापि श्रावक वर्ग के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है। ‘सुदं में आउस्संतो’—‘आयुष्मंतों ! मैंने सुना है’ अर्थात् श्री गौतम स्वामी कह रहे हैं—‘हे आयुष्मन्तों ! मैंने साक्षात् भगवान महावीर से सुना है’….., अत: भगवान की यह साक्षात् वाणी नितप्रति हमारे मानव जीवन को सुसंस्कारित करे, इन्हीं भावनाओं से ओत—प्रोत जिनशासन की महान साधिका परमपूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने इस वर्ष को ‘‘श्री गौतम गणधर वर्ष’’ के रूप में मनाने की प्रेरणा प्रदान की है । गौतम गणधर स्वामी के २५७१ वें गणधर पद दिवस, श्रावक कृ. एकम् , १३ जुलाई २०१४ अर्थात् वीर शासन जयंती दिवस पर पूज्य माताजी की प्रेरणा से ‘‘श्री गौतम गणधर वर्ष’’ का उद्घाटन सम्पन्न किया गया है। बंधुवर ! आपको भी इस वर्ष के अन्तर्गत श्री गौतम स्वामी की वाणी का रसास्वादन करना है, विविध निर्दिष्ट कार्यक्रमों के आयोजन के साथ—साथ संस्थागत, सामाजिक संगठन एवं व्यक्तिगत रूप से जैन समाज में इसका प्रचार—प्रसार करके पुण्य का भागी बनना है। वस्तुत: यह भी महान सौभाग्य का ही विषय है कि हमें आज भी गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी जैसी गुरु की ऐसी प्रेरणा प्राप्त हो रही है कि हम भगवान महावीर की चतुर्थकालीन साक्षात् वाणी को पुन:स्मरण करने का सद्प्रयास कर पा रहे हैं। आइये निम्नांकित बिन्दुओं के आधार पर ‘श्रीे गौतम गणधर वर्ष’ को अपने जीवन में सार्थक करें— श्री गौतम गणधर वर्ष में आपको क्या-क्या करना है ?
(१)वर्तमान में श्री गौतम स्वामी के मुख से नि:सृत चैत्यभक्ति, वीरभक्ति, गणधरवलयमंत्र, प्रतिक्रमण सूत्र आदि जो भी रचनाएँ उपलब्ध हैं, उनके संक्षिप्त रूप को दश अध्यायों में विभाजित करके पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा हिन्दी पद्यानुवाद सहित ‘श्री गौतम गणधर वाणी’ नामक पुस्तक का संकलन किया गया है। इन दश अध्यायों अथवा एक—एक अध्याय का प्रतिदिन वाचन आपको अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करना है। निसंदेह ही चतुर्थकालीन इस वाणी का प्रतिदिन वाचन महान पुण्य का संचय कराने में समर्थ है। पुस्तक जम्बूद्वीप—हस्तिनापुर से प्राप्त करें। मंदिर जी में सामूहिक स्वाध्याय में भी आप इस वाचन को प्रारंभ करें।
(२) श्री गौतम गणधर द्वारा प्रणीत गणधर वलय मंत्रों पर आधारित एवं पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा रचित ‘गणधर वलय विधान’ का आयोजन इस वर्ष का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य है। सुख—समृद्धि—आरोग्यता सभी इष्टार्थ फलों को प्राप्त कराने में समर्थ यह विधान गणधर देवों की ऋद्धियों की अर्चना का अवसर हमें प्रदान करता है। १०८ अथवा इससे अधिक गणधर वलय विधान वर्ष भर में आयोजित करने वाले महानुभावों को विशेष पुरस्कृत करने की योजना संस्थान द्वारा रखी गयी है।
(३) प्रतिदिन गौतम गणधर की पूजा करना आप अपनी दैनिकपूजन में सम्मिलित कर लें।
(४) ‘ॐ ह्रीं श्री गौतमगणधर स्वामिने नम:’ मंत्र का अधिक से अधिक जाप्य करें।
(५)गणधर स्तुति / गौतम गणधर चालीसा/गणधर वलय मंत्र पद्यानुवाद एवं लघु गणधर स्तुति का प्रतिदिन पाठ करें। (सम्बन्धित पुस्तक जम्बूद्वीप—हस्तिनापुर से प्राप्त करें) सामूहिक रूप में भी आप १ घंटे से लेकर २४ घण्टे तक के लिए ‘गणधर स्तुति’ का पाठ आयोजित करें।
(६)गौतम स्वामी के मुख से सर्वप्रथम नि:सृत ‘चैत्यभक्ति’ से सहित आगमोक्त ‘सामायिक पाठ’ को पढ़कर प्रतिदिन कम से कम एक बार विधिवत् सामायिक करने का अभ्यास भी आपको इस वर्ष में करना है।(सामायिक विधि पुस्तक जम्बूद्वीप—हस्तिनापुर से प्राप्त करें।)
(७) श्री गौतम स्वामी के प्रतिष्ठित चरण, प्रतिमा एवं यंत्र आप जम्बूद्वीप—हस्तिनापुर से मंगवाकर अपने यहाँ विराजमान करें।
(८) गौतम गणधर स्वामी की विशेष पूजा दीपावली, र्काितक कृष्णा अमावस्या, २३ अक्टूबर २०१४ की सायंकाल में अवश्य करें, उस दिन २५७१ दीपमालिका सजाकर गौतम स्वामी के २५७१ वें गणधर पद वर्ष को उत्साहपूर्वक मनायें।
(९) इस वर्ष के अन्तर्गत आयोजित किये जाने वाले अन्य कार्यक्रमों के विषय में पारस चैनल के माध्यम से भी आपको सूचना प्रदान की जायेगी, अत: गौतम गणधर वाणी का पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के मुखारिंवद से रसास्वादन करने हेतु एवं अन्य जानकारियों के लिए आप प्रतिदिन प्रात: ६ बजे अथवा रात्रि ९ बजे पारस चैनल अवश्य देखें। इस प्रकार ‘श्री गौतम गणधर वर्ष’ के अन्तर्गत आप अपने संगठन के द्वारा एवं व्यक्तिगत रूप से उपरोक्त कार्यक्रमों को आयोजित करें तथा उनकी सूचना नियमित रूप से जम्बूद्वीप—हस्तिनापुर कार्यालय में भिजवा दें।