

गंगा सरिता का निर्मल जल, रजत कलश भर लाऊँ।






अमृतपिंड सदृश चरु ताजे, घेवर मोदक लाऊँ।


अगर तगर चंदन से मिश्रित, धूप सुगंधित लाऊँ। 
सेव आम अंगूर सरस फल, लाके थाल भराऊँ। 
जल चंदन अक्षत कुसुमावलि, आदिक अर्घ बनाऊँ।



जय जय श्री चन्द्रप्रभो जिनवर, जय जय तीर्थंकर शिव भर्ता। 