किसी भी महिने में अष्टमी, चतुर्दशी व पंचमी आदि किसी भी तिथि को यह व्रत किया जा सकता है, व्रत करने की उत्तम विधि उपवास, मध्यम नीरस पेय (कांजी आदि) लेना, जघन्य एकाशन है। व्रत के दिन श्री जिनेन्द्र भगवान का पंचामृताभिषेक करना व कराना चाहिए तथा श्री जिनसहस्रनाम पूजा मंत्र आदि करके १०८ सुगंधित व लवंग से अथवा माला से १ जाप करें। इस तरह ११ व्रत करें व क्रमश: नीचे लिखे जाप करें व णमोकार मंत्र की जाप करें। १. ॐ ह्रीं श्रीमदादिशतनामधारकाय श्रीजिनेन्द्राय नम:। २. ॐ ह्रीं श्री दिव्यादिशतनामधारकाय श्रीजिनेन्द्राय नम:। ३. ॐ ह्रीं श्री स्थविष्ठादिशतनामधारकाय श्रीजिनेन्द्राय नम:। ४. ॐ ह्रीं श्री महाशोक ध्वजादिशतनामधारकाय श्रीजिनेन्द्राय नम:। ५. ॐ ह्रीं श्रीवृक्षादिशतनामधारकाय श्रीजिनेन्द्राय नम:। ६. ॐ ह्रीं श्री महामुन्यादिशतनामधारकाय श्रीजिनेन्द्राय नम:। ७. ॐ ह्रीं श्री असंस्कृतादिशतनामधारकाय श्रीजिनेन्द्राय नम:। ८. ॐ ह्रीं श्री बृहदादिशतनामधारकाय श्रीजिनेन्द्राय नम:। ९. ॐ ह्रीं श्री त्रिकालदश्र्यादिशतनामधारकाय श्रीजिनेन्द्राय नम:। १०. ॐ ह्रीं श्री दिग्वासाद्यष्टाधिकशतनामधारकाय श्रीजिनेन्द्राय नम:। ११. ॐ ह्रीं श्रीमदाद्यष्टाधिकसहस्रनामधारकाय श्रीजिनेन्द्राय नम:।