Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
श्री पार्श्व प्रभु निर्वाण दिवस!
October 2, 2018
भजन
jambudweep
श्री पार्श्व प्रभु निर्वाण दिवस
दोहा
मोक्ष सप्तमी शुभ दिवस, खुला मोक्ष का द्वार,
शिखर सम्मेद के कूट से, पार्श्व हुये भव पार।
पार्श्व हुये भव पार, अलोकित ज्ञान मणी से,
अष्ट गुणों से युक्त, मिले जा शिवरमणी से।
रत्नत्रय की ज्योति, बराती दश वृष संग थे,
बारह भावन भगिनि, भ्रात सोलह कारण थे।
एक माह का योग धरि, छत्तिस मुनि के साथ,
शेष अघाती कर्म हनि, बने त्रिलोकीनाथ।
बने त्रिलोकीनाथ, अमूरति आकृति पाई,
रहहि अनंतहि काल, सिद्ध पद की प्रभुताई।
मुक्तिरमा भरतार, बने सिद्धालय नाथा,
जय-जय बोले देव, नारि-नर नावहिं माथा।
श्रावण शुक्ला सप्तमी, सिद्ध योग शुचि बार,
शुद्ध बुद्ध अविकार हो, स्वयम् बोध शिवकार।
स्वयम् बोध शिवकार, पार्श्व प्रभु जग हितकारी,
सुवर्णभद्र शुचि कूट, वंदत सब नर-नारी।
पार्श्व प्रभू निर्वाण, महोत्सव सब मिल करना।
पारसमणि जिनधर्म ‘विमल’ गहि जग से तरना।
Previous post
पारस प्रभु का मस्तकाभिषेक निराला है!
Next post
बाहुबली मस्तकाभिषेक भजन!
error:
Content is protected !!