
जिनवर की एक हजार आठ, प्रतिमाओं से जो शोभ। 
क्षीरोदधि के पावन जल से, जिनवर पद का प्रक्षाल करूँ। 
मलयागिरि का चंदन घिसकर, प्रभु चरणों में चर्चन कर लूँ। 
चावल पुञ्जों के अक्षत को, प्रभु सम्मुख मैं अर्पण कर लूँ। 
बेला गुलाब चम्पा आदिक, सुमनों का थाल समर्पित है।
खाजे ताजे आदिक पकवानों, का मैं थाल सजा लाया। 




श्रीफल केला अंगूर आदि, ताजे फल से पूजन कर लूँ। 




जय जय सहस्रकूट जिनालय महान है।