श्री १००८ पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायती बड़ा मंदिर (पुरानी सहेली) मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित है। ग्वालियर रेलवे स्टेशन व बस स्टैण्ड दोनों से इसकी दूरी ४ कि.मी. है। दिल्ली-मुम्बई, दिल्ली-चेन्नई मुख्य रेलमार्ग पर है। स्वर्ण मंदिर के निर्माण में तत्कालीन श्रेष्ठियों ने २ मन (८० किलो) सोने का उपयोग स्वर्ण चित्रकारी हेतु किया था जो इस मंंदिर का वैशिष्ट्य है। ग्वालियर के इर्द-गिर्द ७वीं-८वीं शताब्दी से १४ वीं-१५ वीं शताब्दी तक प्राचीन जिनालयों वे दर्शन होते हैं। रियासतों के काल से श्री १००८ पार्श्वनाथ दि.जैन बड़ा मंदिर अपनी गौरवशाली संस्कृति समेटे हुए है एवं तेरहपंथी पंचायती मंदिर पुरानी सहेली के नाम से विख्यात है। इसका निर्माण भादों सुदी २, सं. १७६१ में हुआ। भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा संवत् १२१२ की प्रतिष्ठित है। इस मंदिर में १६३ मूर्तियाँ हैं जो चाँदी, मूँगा, स्फटिक मणि, प्लेट, पाषाण, कसौटी, संगमरमर तथा श्यामश्वेत पाषाण की हैं। एक इंच से ५-६ फुट अवगाहना की खड्गासन तथा पद्मासन प्रतिमाएँ एवं त्रिकाल चौबीसी विराजमान हैं। एक प्रतिमा भगवान पार्श्वनाथ की श्यामवर्ण की फणयुक्त है। कुल ६ वेदियाँ हैं एवं कलापूर्ण समवसरण, जिसमें स्वर्ण चित्रकारी का काम सोने की कलम से बारीकी से किया गया है एवं कई अन्य दर्शनीय स्थल हैं। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र श्री गोपाचल सिद्धक्षेत्र, सोनागिरि, १५ वीं एवं १६ वीं शताब्दी का ग्वालियर का दुर्ग तथा श्री सिंहोनिया सिद्धक्षेत्र हैं।