श्री १००८ भगवान पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र ‘पुण्योदय तीर्थ’-हाँसी
—मुकेश जैन (सह सचिव)
यह अतिशय क्षेत्र राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-१० महाराजा अग्रसेन राष्ट्रीय मार्ग पर है। यह हिसार की ओर तीसरा कि.मी. स्टोन है। तोमरवंशीय सम्राट् अनंगपाल प्रथम, जिन्होंने ७३६ ई. में वर्तमान दिल्ली को बसाया, उन के प्रतापी पुत्र राजकुमार द्रुपद ने हाँसी में गढ़ (जो अब खंडहर रूप में है) का निर्माण करवाया था। पांडवों के तोमरवंशीय शासकों ने यहाँ ११५३ ई. तक राज किया। इतिहास प्रसिद्ध सम्राट् पृथ्वीराज चौहान के पूर्वज शाकम्भरी के चौहान नरेश विसलदेव ने हाँसी क्षेत्र जीतकर राज किया। उस काल खंड में हाँसी में भगवान पार्श्वनाथ के एवं अन्य भव्य मंदिर थे। भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट् पृथ्वीराज चौहान की दुर्भाग्यपूर्ण पराजय के बाद हाँसी पर मोहम्मद गौरी के एक मुँहलगे गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक का कब्जा हुआ। इस तुर्क लुटेरे ने हाँसी के भव्य मंदिरों को लूटने के बाद नष्ट भी किया। ऐसे ही िंहसक लुुटेरे मीरासाहब व अन्यों से बचाने के लिए अनेक शूरवीरों एवं धर्मपरायण श्रावकों एवं श्रद्धालुओं ने जान पर खेलकर कुछ जिनप्रतिमाओं को हाँसी किले में भूमिगत कर दिया। १९ फरवरी १९८२ ई. के दिन हाँसी के ऐतिहासिक किले में ५७ दिगम्बर जैन प्रतिमाऐं ताम्बे के टोकने में रखी हुई बच्चों को गिल्ली डंडा खेलते हुई दिखाई दीं। तीर्थंकरों एवं अन्य देवी-देवताओं की इन सभी मूर्तियों को बसंतपंचमी ३० जनवरी १९८२ ई. के दिन श्री दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर हाँसी में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ रखा गया। इसके पश्चात् दस वर्ष तक ये सभी प्रतिमाएँ पुरातत्त्व विभाग चंडीगढ़ के सरकारी म्यूजियम में रहीं। ३० दिसम्बर १९९१ ई. के दिन ये सभी उत्कृष्ट शिल्पकलायुक्त प्राचीन प्रतिमाएँ हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री के आदेश पर स्थानीय दिगम्बर जैन समाज को सौंप दी गर्इं। अशुभ उदय से हाँसी के श्री दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर में विराजमान किले से प्रकटी पूजनीय प्रतिमाएँ एवं श्री मंदिरजी की सभी धातुओं से निर्मित प्रतिमायें दिनाँक २६ अक्टूबर २००५ को रहस्यमय ढंग से चोरी हो गई थीं। इन चोरी गई सभी प्रतिमाओं का हरियाणा पुलिस द्वारा अचानक मात्र ३६ दिन में बरामद किया जाना, वास्तव में अपने आप में एक अतिशय ही कहा जायेगा। आज ये सभी प्रतिमाऐं हाँसी के पंचायती बड़े मंदिर जी में एक भव्य नव निर्मित वेदी में विराजमान हैं। बड़ी संख्या में लोग आज इन चमत्कारी, अतिशययुक्त प्रतिमाओं के दर्शन कर मनोवांछित कामनाऐं पूरी कर रहे हैं। यह अतिशय आचार्यों एवं संतों के आशीर्वाद व श्री मंदिरजी में विराजमान अद्भुत व अतिशयकारी भगवान पार्श्वनाथ चौबीसी का चमत्कार ही कहलायेगा।
क्षेत्र विकास- विलुप्त दृषद्वती नदी के तल पर बसे ऐतिहासिक नगर हाँसी (जिला-हिसार) हरियाणा राष्ट्रीय मार्ग क्र.-१० (महाराजा अग्रसेन राष्ट्रीय मार्ग-दिल्ली से फाजिल्का-पंजाब बार्डर) पर, हाँसी से हिसार की ओर ३ कि.मी. पर ७ एकड़ भूमि परिसर में भगवान पार्श्वनाथ जिनमंदिर की नींव भराई का कार्य लगभग एक करोड़ रूपये की लागत से एवं भूमि पर चारदीवारी का काम १० लाख रुपये की लागत से पूर्ण हो चुका है। गर्भगृह, मूल वेदी एवं नृत्यमंडप का निर्माण कार्य द्रुतगति से चालू है। मूल वेदी एवं नृत्यमंडप के निर्माण के लिए अनुमानित व्यय राशि प्राप्त हो चुकी है। गर्भगृह के निर्माण के लिए भी अनुमानित व्यय राशि शिलाओें के रूप में प्राप्त हो रही है। श्री मंदिरजी में प्रवेश के लिए पौड़ियों का निर्माण कार्य हो चुका है। इस बन रहे जिनमंदिर के शिल्पी विश्वविख्यात श्री सी.बी.सोमपुरा, अहमदाबाद हैं। श्री आर.के. जैन, चीफ इंजीनियर-चण्डीगढ़ (सेवा निवृत्त) के मार्गदर्शन में निर्माण कार्य चालू है। उत्तरी भारत का यह विलक्षण मंदिर बने, यह हमारा संकल्प है। भगवान पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र को ‘पुण्योदय तीर्थ’ नाम से घोषित किया गया है। क्षेत्र परिसर में दर्शनार्थियों के ठहरने के १९ कमरों का खंड एवं जिनचैत्यालय बन गये हैं। हाँसी के ऐतिहासिक किले, जहाँ से सम्राट् पृथ्वीराज चौहान ने शासन किया, से प्रकटी अतिशययुक्त भगवान पार्श्वनाथ चौबीसी अक्षय मूर्ति, चैत्यालय जी में विराजमान है। अतिशय क्षेत्र के अनुपम मंदिरजी में हाँसी किले से प्रकट पूज्यनीय तीर्थंकरों, भगवान पार्श्वनाथ चौबीसी एवं खड्गासन पंचबालयतियों की भव्य प्रतिमाएँ स्थापित होंगी।