जो अर्हत् के द्वारा अर्थरूप में उपदिष्ट है तथा गणधरों के द्वारा सूत्ररूप में सम्यक् गुंफित है, उस श्रुतज्ञान रूपी महािंसधु को मैं भक्तिपूर्वक सिर नवाकर प्रणाम करता हूँ।