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१. हमारे जीव का व्यवहार ही हमारे हृदय की सच्चाई का एकमात्र प्रमाण पत्र है।
२. आदर्श जीवन मात्र जीव तक न रहे जीवन में आ जाए तो जीवन आदर्श बन सकता है।
३. अच्छे आचार—विचार का नाम ही धर्म है, संस्कृति है।
४. साधु पुरूष मात्र शरीर के बनें नहीं होते , बल्कि वे पवित्र विचारों के बने होते हैं।
५. महान विचार जब कर्म में परिणत हो जाते हैं, तब वे महान कार्य बन जाते हैं।