(सिद्धान्तचिंतामणि टीका) से संग्रहीत
-गणिनी प्रमुख श्रीमती ज्ञानमती माताजी
श्लोकार्थ- सिद्धि कन्या से विवाह करने हेतु जिन्होंने सती राजमती का त्याग करके जैनेश्वरी-मुनिदीक्षा धारण की थी ऐसे हे महायोगिराज! नेमिनाथ भगवन्! आपको मेरा नमस्कार होवे।।१।।
१८. धवलाटीकासमन्वित षट्खण्डागम पु. २, पृ. ६५७।
१९. धवलाटीकासमन्वित षट्खण्डागम पु. २, पृ. ६०९-६१०।
२०. धवलाटीका समन्वित षट्खंडागम पु. २, पृ. ८२२।