जैना मीमांसका बौद्धा:, शैवा वैशेषिका अपि।
नैयायिकाश्च मुख्यानि, दर्शनानीह सन्ति षट्।।१
जैन, मीमांसक, बौद्ध, शैव, वैशेषिक और नैयायिक ये छह प्रमुख दर्शन इस देश में हैं।
वायुपुराण में भी लिखा है-
उपासनाविधिश्चोक्त: कर्मसंशुद्धिचेतसाम्।
ब्राह्मं शैवं वैष्णवं च, सौरं शाक्तं तथार्हतम्।।
षट्दर्शनानि चोक्तानि, स्वभावनियतानि च।
एतदन्यच्च विविधं, पुराणेषु निरूपितम्।।
इन छहों दर्शन वालों की उपासना विधि भी स्वतंत्र हैं और ये छहों दर्शन स्वभाव से निश्चित-स्वतंत्र हैं।
अतएव इस जैनधर्म को किसी धर्म की शाखा नहीं माना जा सकता।