संकल्प और सिध्दि
संकल्प एक प्रकार से हमारे हृदय की वह तीव्र इच्छा होती है जिसे हम किसी भी परिस्थिति में पाना चाहते हैं या पूर्ण करना चाहते हैं। इसके आगे हर बाधा नगण्य प्रतीत होती है। संसार में मनुष्य की संकल्प शक्ति ही सबसे शक्तिशाली है। शाब्दिक रूप से संकल्प को एक श्रेष्ठ विचार और भाव को साकार कर दिखाने की शक्ति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो जब हम कोई कामना या इच्छा करते हैं और उसकी कल्पना करते हैं तो वह पूरी तरह से आभासी होती हैं लेकिन उस आभा सी विचार में संकल्प शक्ति का संचार करते हैं तो उसका वास्तविक परिणाम के रूप में परिणतहोना तय हो जाता है।
संकल्प की असीमित शक्ति का कारण यह है कि संकल्प का संबंध हमारे शरीर से नहीं, अपित हमारे आत्मा, हमारे चित्त और हमारे अवचेतन मन से होता है। यही कारण है कि प्रायः कमजोर आत्मबल वाले व्यक्तियों की संकल्प शक्ति कमजोर होती है। वह भले ही किसी विशिष्ट स्थिति या क्षण में भावावेश में आकर कोई संकल्प ले लेते हैं, किंतु समय के साथ अपनी ही इच्छा की तीव्रता को बरकरार नहीं रख पाते हैं। समय के साथ उनकी इच्छा या तो बदल जाती है या उनकी चाह कम हो जाती है और इस वजह से संकल्प भी क्षीण हो जाता है |
मानव जीवन के आधुनिक इतिहास में ऐसे कई महान विजों के उदाहरण है जिन्होंने केवल अपनी संकल्प शक्ति के दम पर एक बड़ा अंतर पैदा किया और एक ऐसा अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया जो तमाम लोगों को युगों युगों तक प्रेरित करता रहेगा। चाहे वह महात्मा गांधी हों या नेल्सन मंडेला या फिर कोई अन्य विराट व्यक्तित्व, इन्होंने अन्यायपूर्ण व्यवस्था के विरुद्ध निहत्थे ही लड़ने का संकल्प लिया। विपरीत परिस्थितियों में आने वाली हर बाधाओं का सामना किया अपने जीवनकाल में ही अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त किया|