जो लोग किसान हैं, वे फल में संशय रखते हुए यदि कृषि कर्म में विलम्ब करते हैं तो वे अविकल (सभी) सामग्री के मिलने पर भी अनाज को प्राप्त नहीं कर सकते, उसी तरह फल के संशय से युक्त होकर जो दुष्कर अनुष्ठान भी करते हैं, वे योग्य फल न मिलने पर खेद को ही प्राप्त होते हैं।