अधरों पर मुस्कान मधुर है, मन में ढेर सारे अरमान, मधुर स्वप्न से सजीली रातें ,गूंजेगें अब मंगल गान|
दो परिवार मिले आपस में, दो दिलों ने प्रीत बढ़ाई, ऐसी योजना बने आपकी, यादगार हो जाये विदाई।
सगाई की अंगूठी पहनते ही जीवन साथी भविष्य के मधुर स्वप्न देखने लग जाते हैं। कभी बागों में टहलना, तो कभी नदी के किनारे बैठना, एक दूजे को सुंदर उपहार देना और घंटो मोबाईल पर चर्चा करना। इन सब के बीच विवाह की तैयारी को लेकर चिंता होना भी आम बात है, यह बात अलग है कि यह चिंता वर—वधू की कम उनके माता—पिता की अधिक रहती है। हर माता—पिता का सपना होता है कि उनकी बिटिया की शादी में कोई कमी ना रह जाये अथवा उनके बेटे की कोई ख्वाहिश अधूरी ना रह जाये। सगाई से विवाह के बीच का समय बड़ा ही नाजुक होता है, माता—पिता के द्वारा पूरी कोशिश करने के बावजूद भी कभी—कभी छोटी सी लापरवाही शादी के माहौल को बिगाड़ भी देती है। यह वह समय है जब वर—वधू एक दूसरे के स्वभाव को नजदीक से जानने का प्रयास करते हैं वहीं वैवाहिक तैयारियों में समधी—समधन भी आपसी सामंजस्य बिठाने में प्रयासरत रहते हैं। कहने को तो शादियां स्वर्ग में तय होती है परंतु उन्हें धरती पर ही मूर्तरूप दिया जाता है। द्वार पर सजे बंदनवार, ढोलक की थाप पर गूंजते मधुर मंगल—गान, हंसी—मजाक से जीवंत होता घर, आपस में मान—मनुहार और प्रेम से भरा आतिथ्य—सत्कार यह शादी वाले घर के प्रतीक हुआ करते थे। विंâतु वर्तमान में परिस्थितियां बदली हैं, विवाह एक संस्कार मात्र नहीं अपितु वह महत्वपूर्ण आयोजन हो गया है जिसमें प्रतिष्ठा, नाम और हैसियत दांव पर लगी होती है। शादी अविवाहित जीवन का अंत और वैवाहिक जीवन का प्रारंभ होता है अत: जैसे ही सगाई तय हो शादी के आयोजन की योजनाबद्ध तैयारी करना प्रारंभ करें ताकि कम खर्च में, उचित व्यवस्थाओं के साथ एक यादगार विवाह संपन्न हो सके। सगाई की रस्म के उपरांत दोनों ही परिवारों को साथ बैठकर विचार—वमर्श करके वैवाहिक कार्यक्रमों एवम् वैवाहिक व्यवस्थाओं के बारे में निर्णय लेने चाहिए। शादियों में धूमधाम के लिये दूल्हा—दुल्हन के अलावा पैसा एक ऐसी चीज है जो अहम भूमिका अदा करती है। शादी में खर्चे का बजट बनाना महत्वपूर्ण होता है उसी अनुसार कपड़े, गहने, भोजन, डेकोरेशन, मेकअप व मनोरंजन के लिये सोचा जा सकता है। कम खर्च में सुव्यवस्थित व यादगार विवाह संपन्न हो इसके लिये निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।