सचित्तत्याग-कच्चे फल-फूल,बीज,पत्ते आदि नहीं खाना,इन्हें छिन्न भिन्न करके,लवण आदि मिलाकर या गरम आदि करके प्रासुक बनकर खाना,पानी भी प्रासुक करके पीना सचित्तत्याग प्रतिमा कहलाती है “