अनेकान्त सूरि गुरुराज, आज थारी आरती उतारूँ-२
आरती उतारूँ थारी मूरत निहारूँ-२
अनेकान्त सूरि गुरुराज………
माता शांती के राजदुलारे, पिता भगवानदास जी के हो प्यारे
जन्में हो गोटेगांव, आज थारी आरती उतारूँ
अनेकान्त सूरि गुरुराज………
वर्ष चौबीस में बाल ब्रह्मचारी, पावागढ़ शिवनगरी न्यारी
आतम का करने उत्थान, आज थारी आरती उतारूॅ।
अनेकान्त सूरि गुरुराज………
कोमल काया छोड़ी है माया, जग का नश्वर सुख ना भाया
छोड़ा है सब घरबार, आज थारी आरती उतारूँ
अनेकान्त सूरि गुरुराज………
सूरि अभिनन्दन से मुनिपद पाकर, उदयपुर नगरी धन्य बनाकर
आतम का करने कल्याण, आज थारी आरती उतारूँ
अनेकान्त सूरि गुरुराज………
षष्टम सूरि अभिनंदनसागर ने, निजपद दीना अनेकान्तसागर को
सप्तम सूरि बनाय, आज थारी आरती उतारूँ
अनेकान्त सूरि गुरुराज………
घृतमय दीपक हाथों में लेकर, आतम ज्ञान के भाव जगाकर
करते हैं आरती महान, आज थारी आरती उतारूँ
अनेकान्त सूरि गुरुराज………