तर्ज—रोम-रोम से निकले……
सब तीर्थों में प्रथम अयोध्या तीर्थ हमारा।। हां तीर्थ……।
ऐसा हुआ विकास कि जग में फैला नाम निराला।। सब…..।।टेक.।।
युग की आदि में तीर्थंकर श्री आदिनाथ जी जन्मे।
अजितनाथ, अभिनन्दन, सुमति औ अनन्त जी जन्मे।।
इसी भूमि ने भूत, भावि सब तीर्थंकर अवतारा।। सब……।।१।।
ज्ञानमती माताजी जब प्रभु दर्शन करने आई।
साथ में अपने त्रय-चौबीसी भेंट चढ़ाने लाई।।
उनके ही करकमलों से हो गया तीर्थ उद्धारा।। सब……।।२।।
आदीश्वर की खड्गासन उत्तुंग यहाँ प्रतिमा है।
महामस्तकाभिषेक से बढ़ गई तीर्थ महिमा है।।
देश-देश के नर-नारी आ करते जय-जयकारा।। सब……।।३।।
गणिनी माता ज्ञानमती ने चातुर्मास रचाया।
सूने तीरथ को विकसित करने का भाव जगाया।।
तभी ‘‘चंदनामती’’ तीर्थ का हुआ शीघ्र उद्धारा।
सब तीर्थों में प्रथम अयोध्या तीर्थ हमारा।। सब……।।४।।