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सभी मिल बोलो जय जय, जैन सन्तो की जय जय!
June 13, 2020
भजन
jambudweep
सभी मिल बोलो
तर्ज-जपूँ मैं जिनवर जिनवर……..
सभी मिल बोलो जय जय, जैन सन्तो की जय जय।
मुक्तिमार्ग के ये ही पथिक हैं सच्चे, मुनिवर सच्चे, गुरुवर सच्चे।।
सभी मिल बोलो जय जय..।।टेक.।।
वीरसिन्धु आचार्य प्रवर थे, रत्नपारखी वे गुरुवर थे।
शिष्यरत्न बनते थे तभी तो उनके, मुनिवर सच्चे, गुरुवर सच्चे।।
सभी मिल बोलो जय जय..।।१।।
घटना है सन् उन्निस सौ छप्पन की, दीक्षा ज्ञानमती जी को दी थी।
अतिशयकारी नाम दिया तब तुमने, मुनिवर तुमने, गुरुवर तुमने।।
सभी मिल बोलो जय जय..।।२।।
नाम ज्ञानमती सार्थक हो गया, रत्नत्रय से युक्त हो गया।
वृद्धि हेतु गुरुकुल उपवन की उनसे, गुरुवर तुमसे, मुनिवर तुमसे।।
सभी मिल बोलो जय जय..।।३।।
युग युग कीर्ति बढ़े गुरुवर की, यही ‘चन्दनामती’ है विनती।
हमको भी आशीष मिले गुरु तुमसे, गुरुवर तुमसे, मुनिवर तुमसे।।
सभी मिल बोलो जय जय..।।४।।
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