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समवसरण आया अभिनन्दन कर लो!
June 16, 2020
भजन
jambudweep
समवसरण आया अभिनन्दन कर लो
तर्ज—धीरे-धीरे बोल कोई
समवसरण आया अभिनन्दन कर लो, वंदन कर लो, अभिनन्दन कर लो।
यह केवलज्ञान प्रतीक है, जग भर में अलौकिक एक है।। समवसरण……।। टेक.।।
केवलज्ञानी तीर्थंकर विहरण करें, चरण कमल तल इन्द्र कमल स्वर्णिम धरें।
उन पर भी चतुरंगुल प्रभू अधर चलें, वीतरागता उनकी सदा अमर रहे।।
दर्शन करो, वंदन करो, यह केवलज्ञान प्रतीक है, जग भर में अलौकिक एक है।। समवसरण……।।१।।
जिनवर की उपदेश सभा जो दिव्य है, समवसरण उसको ही कहते भव्य हैं।
आज नहीं साक्षात् हमें वे दिख रहे, उनकी प्रतीकृती की हम रचना करें।।
दर्शन करो, वंदन करो, यह केवलज्ञान प्रतीक है, जग भर में अलौकिक एक है।। समवसरण……।।२।।
मिथ्यात्वी का मान भंग हो दर्श से, सम्यग्दर्शन प्रगटित करते हर्ष से।
मानव क्या पशु भी तज देते वैर को, समवसरण ‘चंदना’ दिखावे दृश्य वो।।
दर्शन करो, वंदन करो, वह केवलज्ञान प्रतीक है, जग भर में अलौकिक एक है।। समवसरण……।।३।।
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