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समवसरण दर्शन करो!
June 16, 2020
भजन
jambudweep
समवसरण दर्श्ना करो, तो भव्य कहलाओगे……
तर्ज—तुम तो ठहरे परदेशी
समवसरण दर्श्ना करो, तो भव्य कहलाओगे।
यदि तुम अभव्य हुए तो दर्श नहीं पाओगे।। टेक.।।
प्रभु जी की धर्म सभा, में जो भी आता है।
तुम भी दिव्यध्वनि को सुनो, तो भव से तिर जाओगे।। समवसरण……।।१।।
गूँगे भी वहाँ जाकर, बोलने लग जाते हैं।
तुम भी आज श्रद्धा करो, तो आत्मसुख पाओगे।। समवसरण……।।२।।
इन्द्रभूति गौतम का भी, मान गलित हुआ था जहाँ।
देखो वही मानस्तम्भ, मुक्तिपथ पाओगे।। समवसरण……।।३।।
दर्शनों के भावों से, मेढक ने देवगती ली।
दर्शन करो तुम भी तो, देवगति पाओगे।। समवसरण……।।४।।
तुम भव्य हो या अभव्य, इसका परीक्षण करो।
दर्शन से भव्यत्व की, श्रेणी में आओगे।। समवसरण……।।५।।
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