बुखार इलायची चूर्ण, बेलफल को दूध के साथ उबालकर पीने से बुखार उतर जाता है।
पित्त विकार पके फालसे के रस में पानी, सोंठ और शक्कर मिलाकर पीना, चार लौंग पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से तेज ज्वर, पित्त ज्वर कम होता है। यक्ष्मा रोग में मक्खन या मिश्री में घी मिलाकर खाने में सेवन करें। यदि लगातार ज्वर रहता हो तो ग्यारह पत्ती तुलसी, नमक, जीरा, हींग एक गिलास गरम पानी में नींबू का रस २५ ग्राम मिलाकर तीन बार कुछ दिन सेवन करें। मुनक्का, पीपल, देशी शक्कर तीनों सम भाग पीसकर एक चम्मच सुबह शाम उपयोग करें। तिल २५ ग्राम कच्चा नारियल खावें या पीसकर पिएँ। आठ खजूर दो बार खावें। ताजी लौकी पर जौ के आटे का लेप करें तथा कपड़ा लपेटकर मोमल (आग) में दबा दें। जब भुर्ता हो जावे तो पानी निचोड़कर शक्ति अनुसार एक माह तक पिलावें। मक्का की रोटी का सेवन करें।
ज्वर या बुखार — बुखार सामान्य तौर पर हानिकारक कीटाणुओं के संक्रमण से होता है। ये रोगाणु शरीर की कोशिकाओं में ‘पायरोजन’ नामक विषैला पदार्थ उत्पन्न कर देते हैं। जिससे मष्तिष्क में स्थित ताप नियंत्रण केन्द्र में गड़बड़ी हो जाती है और हमें बुखार हो जाता है। वास्तव में बुखार बीमारी के कीटाणुओं को नष्ट करने में हमारी मदद करता है। इस दौरान शरीर में विभिन्न जैविक प्रक्रियाएँ तेजी से होने लगती हैं। शरीर में सभी रक्त कोशिकाएँ, एंजाइम और हारमोन उत्पन्न होने की दर अचानक तेज होने लगती है और ये बुखार के कीटाणुओं को नष्ट करने में जुट जाती है। लम्बे समय तक बुखार का रहना शरीर के लिए घातक है क्योंकि इस अवस्था में शरीर के भीतरी हिस्से का तापमान बढ़ने के कारण पानी की कमी हो जाती है जिससे रक्त व मूत्र नली की कोशिकाएँ सिकुड़ने लगती हैं, कोशिकाओं का प्रोटीन समाप्त होने लगता है और मस्तिष्क में अनेक विकार पैदा हो जाते हैं। उबलते पानी में नींबू निचोड़कर पिलाने से लाभ होता है। नींबू में सेंधा नमक और काली मिर्च भरकर गर्म करके चूसने से भी लाभ होता है। २० मुनक्का धोकर बीज निकालकर २५० ग्राम पानी में रात भर भिगों दें। प्रात: उसी पानी में उनको उबाल कर मुनक्का खा जायें और वह पानी पी जायें। लाभ होगा। गर्मी का बुखार होने पर इमली का पानी पिलाना लाभदायक है। धनिये की गिरी का सेवन गुणकारी होता है। मेथी के पत्तों को पीसकर बाह्य लेप करने से जलन, दाह, भभक दूर होती है। देशी घी में कैरोसिन मिलाकर पगतली में लगाने से सीजन का बुखार उतर जाता है। एक लौंग को पीसकर दिन में तीन बार गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है। मूंग की दाल (छिलके सहित) लेने से लाभ होता है। सेंधा नमक एक भाग, देशी चीनी (बूरा) चार भाग, दोनों मिलाकर बारीक पीस लें। आधा चम्मच नित्य तीन बार गर्म पानी से लें। तुलसी के पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है। तीन ग्राम तुलसी का रस, ६ ग्राम मिश्री, तीन काली मिर्च मिलाकर लेने से लाभ होता है। २० तुलसी के पत्ते, २० काली मिर्च, जरा सी अदरक और दालचीनी एक गिलास पानी में चाय की तरह उबालकर चीनी मिलाकर गर्म पानी के साथ लेने से हर प्रकार के बुखार में लाभ होता है। दस तुलसी के पत्ते, तीन ग्राम सोंठ, पाँच लौंग, २२ काली मिर्च स्वाद के अनुसार चीनी डालकर उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो रोगी को पिलावें ज्वर उतर जायेगा और यदि ज्वर में घबराहट हो तो तुलसी के पत्तों के रस में शक्कर डालकर पिलायें। १२ ग्राम तुलसी के पत्तों का रस नित्य पीते रहने से ज्वर ठीक हो जाता है।
आन्त्र ज्वर—टाईफाइड में संचित ग्लाइकोजिन का तेजी से अपचय होता है और पानी का संतुलन बिगड़ जाता है। आँतों की नली फूल जाती है और दस्त शुरू हो जाता है अत: प्रचुर मात्रा में प्रोटीनयुक्त आहार नहीं देना चाहिए। इस काल में तरल, पचने योग्य कार्बोहाइड्रेड आहार ही लेना चाहिए। सब्जियों का सूप और फलों के रस का सेवन करना चाहिए। बुखार ठीक होने के बाद तथा प्रचुर मात्रा में प्रोटीन लेना चाहिए। पाँच लौंग दो किलो पानी में उबाल लें, आधा पानी रहने पर छान लें। इस पानी को नित्य बार—बार पिलायें। पानी भी उबाल कर ठंडा कर पिलाऐं।
मलेरिया
मलेरिया बुखार आने पर वह बुखार जैसे सुबह १२ बजे आया तो दूसरे दिन २ बजे आता है, जब निर्णय हो जाए कि मलेरिया है तो बुखार आने के समय के २ घंटे पहले हरी मिर्च बडी डंठल को हटाकर उस मिर्च को किसी भी हाथ के अंगूठे में पहना कर धागा से कसकर बांध देना चाहिये। जब तक बुखार का समय न टल जाय, उस बुखार के समय १ घंटे बाद मिर्च खोलकर फेंक देना चाहिये। यह दवा सिर्फ मलेरिया के लिये है। मलेरिया में नमक, काली मिर्च, नींबू में भरकर गर्म करके चूसने से बुखार की गर्मी दूर हो जाएगी। नित्य दो बार चूसो। दो नींबू का रस नींबू के छिलकों सहित ५०० ग्राम पानी में मिलाकर मिट्टी की हांडी या स्टील के भगोने में रात को उबाल कर आधा रहने पर रख दें। प्रात: इसे पीने से मलेरिया आना बंद हो जाएगा। पानी में नींबू निचोड़कर स्वाद के अनुसार शक्कर मिलाकर रख दें पिलाने से चार दिन में मलेरिया आना बंद हो जाता है। यदि कुनेन खाने से कानों में सांय—सांय आवाज आए तो यह भी ठीक हो जाती है। कुनेन के साथ नींबू और दूध अधिक प्रयोग करना चाहिए। एक चम्मच जीरा बिना सेका हुआ पीस लें। इसका तीन गुणा गुड़ इसमें मिलाकर इसकी तीन गोलियाँ बना लें। निश्चित समय पर सर्दी लग कर आने वाले मलेरिया के बुखार के आने से पहले एक—एक घंटे से एक—एक गोली खिलायें। छाछ पीने से हर चौथे दिन आने वाला मलेरिया ठीक हो जाता है। एक हरी मिर्च के बीज निकालकर बीज रहित खोल को मलेरिया आने के दो घंटे पहले अंगूठे में पहना कर बांध दें। इस तरह दो—तीन बार बांधने से मलेरिया बुखार आना बंद हो जाएगा। हरी मिर्च बांधने से जलन होगी अत: जितनी देर जलन सहन हो उतनी देर बांधें। उसके बाद अंगूठे में नारियल का तेल लगा लेवें। नित्य खाने में काम आने वाला नमक पाँच चम्मच तवे पर भूरे रंग का होने तक भूनें। इस नमक को एक चम्मच एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर नित्य एक बार मलेरिया आने से पहले पियें। मलेरिया ज्वर के होते हुए न पिएं। ६० ग्राम नीम के पत्ते चार काली मिर्च ये दोनों पीसकर १२५ ग्राम पानी में छानकर पी लें। लाभ होगा।
सर्दी जुकाम
सर्दी जुकाम में विटामिन सी का उपयोग अति आवश्यक है। इसके अलावा कई परम्परागत इलाज भी उपलब्ध हैं। जैसे गरारे करना, भाप लेना। सरसों के तेल की मालिश करना, काला जीरा जिसे कलौंजी भी कहते हैं। उसे तवे पर गरम करके या अजवाइन को तवे पर गरम करके सूंघने से तत्काल नाक से गिरने वाला पानी बन्द हो जाता है। तत्कालिक कारण वाला जुकाम सामान्य होता है। एक दिन जुकाम लगता है दूसरे दिन तेज नाक से पानी बहता है और तीसरे दिन पककर ठीक हो जाता है। जुकाम में दही दूध नहीं लेना चाहिए यदि लेना ही हो तो दूध में २ मोटी इलायची, दो पीपल, दो छुआरा, चार खजूर उबालकर दूध पियें। सर्दी ऋतु में गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से जुकाम, खांसी आदि रोग नहीं होते। बिगड़े हुये जुकाम में ३० ग्राम गुड़, दही ६० ग्राम और ६ ग्राम काली मिर्च पिसी हुई मिलाकर प्रात:काल उठते ही व शाम को ५ बजे सेवन करने से लाभ होता है। कपूर को एक कपड़े में बांधकर सूंघते रहने से जुकाम के कारण बन्द रहने वाली नाक खुल जाती है। फिर जुकाम नहीं होता।
कुंकर खांसी अनुभूत दवा
मक्के के दाने तवे पर जला लें और उसे रोगी को चबाने दें, इसके बाद पानी न पियें। ३ दिन करने से कितनी भी पुरानी कुकर खाँसी हो जड़ से खत्म हो जाती है। जुकाम में पान में ३ काली मिर्च और अजवाइन डालकर चूसें ,ठीक होगा। जुकाम के बाद कफ सूखकर सूखी खांसी आने लगती है तो रोगी को अनार का रस पिलायें सूखी खांसी ठीक हो जायेगी या नारियल का पानी दें। यदि जुकाम दमा में कफ गिरता हो तो आधा चम्मच पिसी हुई हल्दी गरम पानी से दो बार लेवें। जिन व्यक्तियों को बार बार जुकाम सर्दी लग जाती है। वे थोड़े समय तक मौसमी का रस पीकर स्थाई रूप से बच सकते हैं। पुराने जुकाम में जब नाक से दुर्गन्ध आये रक्तरंजित या रक्तविहीन पीले श्लेषमा के छिछड़े गिरते हों तो सोते समय १५ बूंद सरसों का तेल और ७ बूंद पानी मिलाकर मथें, रगड़ें, झाग आने पर सूंघें तथा नाक में लगायें थोड़ा भीतर लाभ होता है। १२५ ग्राम धनिया कुटा ४०० ग्राम पानी में उबालें, जब पानी चौथाई रह जाय तो छानकर १२५ ग्राम मिश्री मिलाकर फिर गरम करें जब गाढ़ा हो जाये तो उतार लें यह प्रतिदिन दस ग्राम चाटें इससे मस्तिष्क की कमजोरी से होने वाला जुकाम ठीक हो जाता है और मस्तिष्क की कमजोरी भी मिटती है। हल्दी का धुँआ सूंघने से जुकाम का पानी, कफ बहकर बाहर आ जाता है। इसके बाद आधा घंटा पानी नहीं पियें। जलते कोयलों पर शक्कर का धुँआ नाक से सूंघने खींचने से रुका हुआ जुकाम ठीक हो जाता है। गला दुखने पर १ पान के पत्ते पर छोटा टुकडा सोंठ और दो लौंग रखकर धीरे धीरे रस को चूसिये लाभ होता है। कफ एवं दमा भुनी हुई फिटकरी और मिश्री बराबर लेने से कफ और दमे में लाभ होता है। खांसी खांसी स्वयं रोग नहीं है लेकिन अन्य रोगों का लक्षण मात्र है। खांसी के कारण गला, सांस की नलियों, फेफड़े व दिल की बीमारियाँ होती है। टी. वी. दमा भी खांसी के प्रमुख लक्षण हैं। जब तक खांसी के मूल कारण वाली बीमारी का पता न चले तब तक खांसी की कोई दवा लेने से क्षणिक लाभ होता है पर बीमारी ठीक नहीं होती अत: इसे पहचानें।
खांसी दो प्रकार की होती है—एक सूखी खांसी दूसरी कफ वाली। सूखी खांसी होती है जिसमें कठिनाई से थोड़ा थोड़ा कच्चा थूक आता है पर कफ वाली खांसी में जरा सा खांसने पर कफ निकलता है। इसके अनुसार दवा लें। आधा ग्राम फिटकरी चासनी में लेने से दमा, खांसी कफ वाली में आराम। अजवाइन खाकर दूध पीने से खांसी में आराम होता है। ऐसी खांसी हो जिससे छाती में दर्द, जीर्णज्वर को तुलसी के पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर पीना। खांसी बार बार चलती हो तो सेकी हुई हल्दी का टुकड़ा पान में डालकर खायें यदि खांसी रात को अधिक चलती हो तो पान में अजवाइन डालकर पान का पीक चूसते रहें। खांसी नहीं आयेगी। जुकाम, खांसी, गलशोध, फेफड़ों में कफ जमा हो तो तुलसी के सूखे पत्ते, कत्था, कपूर और इलायची समान लेकर, नौगुनी शक्कर, सबको बारीक पीसकर चुटकी भर सुबह शाम लें। (यह होम्योपैथी का १ विचूर्ण बन जाता है।) कफ निकल जायेगा। सूखा नारियल कस कर बुरादा बनाकर १ कप पानी में चौथाई नारियल दो घंटे भिगोयें फिर छान लें पानी अलग रख अब नारियल को चटनी जैसे पीसकर वह भीगा पानी मिलाकर पी जायें इस प्रकार नित्य तीन बार यह पियें सात दिन तक इससे खांसी, फेफड़ों के रोग, टी. वी. में लाभ होता है शरीर पुष्ट होता है। हर तरह की खांसी जिसमें लगातार खांसी उलझ आवे और अति हो जावे तो केले के पत्ते को सुखाकर राख बनाकर चासनी से दिन में दो बार लेवें एक ही दिन में आराम होता है। दो घंटे पानी न पिलायें। काली मिर्च और मिश्री समभाग पीस लें, इसमें इतना घी मिलायें कि गोली बन जाये” इस गोली को मुँह में रखकर चूसें, हर प्रकार की खांसी में लाभ होगा। छुवारा गरम होता है।फेफड़ों और छाती को बल देता है कफ व सर्दी में लाभदायक है। निमोनिया बच्चों को निमोनिया स्वांस आदि होने पर जरा सी हींग पानी में घोलकर पिलाने से कफ पतला होकर निकल जाता है। दुर्गन्ध और कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। नमक गर्म करके पोटली बांधकर सीने का सेक करें, सीने में घबराहट ठीक होती है और ५ मुनक्कों को पीसकर दो कप पानी में उबालें, उबलते हुए पानी आधा रह जाये तो इसे छानकर पिलायें इससे कफ बलगम बाहर निकल जाता है। सर्दी जुकाम के पश्चात् होने वाली सूखी खांसी ठण्डा अनार का रस पीने से ठीक हो जाती है। दमा धतूरे के बीजों को आठ दिन तक तो १—१ बीज प्रात: पानी में निगल लें, फिर आठ दिन बाद दूसरे हफ्ते २—२ बीज, इस तरह प्रति हफ्ते १—१ बीज बढ़ाते जायें पाँच हफ्तों में ५—५ बीज रोजाना लें। बस कैसा भी दमा होगा जड़ से चला जायेगा। खांसी बलगम खांसी और बलगम से जो परेशान हैं खाली पेट आंवला एवं मुलहटी का पाउडर एक सप्ताह लेने से आराम होता है। श्वांस अस्थमा कच्ची गुलाबी फिटकरी ३ ग्राम शंख भस्म ११ ग्राम को एक साथ पीस लें और १ ग्राम चासनी के साथ लें श्वांस के दौरे में शीघ्र लाभ होगा।
यक्ष्मा—टी. बी.— एक गिलास दूध में पाँच पीपल डालकर उबालें, ठंडा होने पर शक्कर डालकर प्रतिदिन सुबह पिएं। मोतीझरा जिसे टाईफाइड या भाव निकलना भी कहते हैं। मोतीझरा का बुखार होने पर १ मिट्टी का बर्तन नया लाना उसे अग्नि पर रखना लाल होने तक तब तक ५—७ लौंग लेकर पानी डाल डालकर पीसना” जब अच्छी तरह पिस जाय तो उसमें और पानी मिलाकर आधा पौन गिलास बना लेना अब लाल किये मिट्टी के बर्तन को चूल्हे से उतार कर यह लौंग का पानी उस गरम बर्तन में डाल देना जो सोखेगा सोख लेगा बाकी बचे पानी को रोगी को १—१ चम्मच दिन भर पिला देना, ऐसा रोज करना होगा, लगातार तीन दिन या ५ दिन, फिर कभी बुखार नहीं आयेगा, बर्तन हर रोज वहीं ले सकते हैं लौंग नयी रोज लेना। खसरा —खसरा निकलने पर लौंग को घिसकर चासनी के साथ देने से खसरा ठीक हो जाता है। खसरा निकलने के बाद शरीर में जलन, खुजली हो तो सूखे ऑवलों को पानी में उबालकर ठण्डा होने पर इससे नित्य शरीर धोयें। खसरे की खुजली जलन दूर होगी। बोदरी माता से शरीर में गर्मी हो तो मक्खन और मिश्री समान मात्रा में मिलाकर दो चम्मच नित्य चाटें।
पीलिया —घी तेल आदि चिकने पदार्थ नहीं पचते शरीर, आँखे, नाखून, मूत्र पीले दिखते हैं। थोड़ा थोड़ा बुखार होता है खाने में अरुचि होती है। आठ बादाम, पांच छोटी इलायची, दो छुआरा रात को बारीक पीसकर ७० ग्राम मिश्री, ७० ग्राम मक्खन मिलाकर चटायें, चौथे दिन ही पेशाब साफ आने लगेगा। २०० ग्राम दही में चुटकी भर फिटकरी घोलकर मिलायें, बच्चों का अनुपात कम लें, दिन भर केवल दही ही सेवन करें, पीलिया शीघ्र ठीक होगा, किसी किसी को उल्टी हो जाये तो घबराये नहीं। मूली के पत्तों का रस १२५ ग्राम में ३० ग्राम चीनी मिलाकर छानकर पिलायें पीते ही लाभ होता है। सब प्रकार के पीलिया में लाभदायक। धनिया की चटनी और चावल ज्यादा उपयोग करें।
इन्फ्लुएन्जा —इसे संक्षेप में फ्लू कहते हैं। इसमें अचानक शरीर की माँसपेशियों में दर्द के साथ बुखार आता है। अधिकतर यह शीत ऋतु या बसन्त ऋतु में होता है। यह संक्रमण से फैलता है। हमेशा इसके लक्षणों में कुछ न कुछ परिवर्तन होता रहता है। पहले अचानक सर्दी लगती है और फिर बुखार १०२—१०३ डिग्री तक हो जाता है। छींके, बदन में दर्द, सूखी खाँसी, अरुचि और कमजोरी। दो दिन बुखार रहकर फिर उतरने लगता है। एक व्यक्ति को होने पर यह दूसरों को प्रभावित करता है। १ ग्राम अजवाइन और ३ ग्राम दालचीनी दानों को उबालकर इनका पानी पिलायें। १२ अजवाइन २ कप पानी में उबालें, आधा रहने पर ठंडा करके छानकर पीयें। लाभ मिलेगा। दालचीनी ५ ग्राम, दो लौंग, चौथाई चम्मच सोंठ को पीसकर एक किलो पानी में उबालें। चौथाई पानी रहने पर छानकर इस पानी के तीन हिस्से करके दिन में तीन बार पिलायें। दूध में दो पीपल या चौथाई चम्मच सोंठ डालकर उबालकर पियें। १२ ग्राम तुलसी के पत्तों को २५० ग्राम पानी में औटा लें। जब चौथाई पानी रह जाए तो छानकर सेंधा नमक मिलाकर गर्म—गर्म पिला दें। हडफूटन—हटफूटनी हो, बदन में दर्द हो, बेचैनी हो तो आधा कप शक्कर की गर्म चाशनी पीकर चादर ओढकर सो जाएं, शीघ्र आराम होगा।