जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में, चतुर्थ काल से लेकर भी। इस पंचमकाल के अंतिम तक, सर्वश्री संयतिका होंगी।। ब्राह्मी माता से सर्वश्री, माता तक जितनी संयतिका। जो हुईं हो रहीं होवेंगी, मैं नमूँ भक्ति भवदधि नौका।।२।।