हमारे स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है हमारा भोजन । आयुर्वेद में तो यह माना जाता है कि अगर आप सही व हल्का भोजन लें तो रोग आपसे दूर रहते हैं। भोजन हमें अपनी जरूरत के अनुसार करना चाहिए न कि स्वाद के अनुसार। फास्ट फूड, पोटेटो चिप्स, सोडा, डिब्बाबंद आहार जिनमें प्रिजरवेटिव या आर्टीफीशिल फ्लेवरिंग हो, आदि को स्वास्थ्य के लिए किसी भी प्रकार से अच्छा नहीं माना जाता। इनसे पोषक तत्वों की प्राप्ति तो न के बराबर होती है पर ये शरीर में ऐसे खराब तत्वों का निर्माण करते हैं जिन्हें शरीर से बाहर निकलने में भी मुश्किल आती है इसलिए इसका सेवन न करना ही बेहतर है। आयुर्वेद और योग, दोनों में यही माना जाता है कि भोजन सदैव ताजा होना चाहिए इसलिए योगी हल्का भोजन, फल, मेवे, गर्म दूध आदि का सेवन करते हैं जो शरीर को पोषक तत्व प्रदान करते हैं। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि जरूरत से सदैव थोड़ा कम भोजन ही लें। जितनी भूख हो, उससे आधा खाएं। एक चौथाई भाग पानी और एक चौथाई भाग खाली यानी बिना कुछ खाए रखें। एक ही समय में आनाज के विभिन्न प्रकारों का मिश्रण सेवन न करें। अगर रोटी खा रहे हैं तो चावल का सेवन न करें। एक समय में एक ही चीज खांए। इसके अतिरिक्त कई व्यक्तियों को तीन समय भोजन के अलावा बीच—बीच में स्नैक्स लेने की आदत होती है जो स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता। इसलिए बीच—बीच में स्नैक्स की बजाय तरल पदार्थ जैसे लस्सी, जूस आदि ले सकते हैंं । सप्ताह में एक दिन व्रत रखें । उस दिन सिर्फ फल या दूध लें। इसके अतिरिक्त नारियल पानी ले सकते हैं। सही खान—पान के साथ—साथ सही ढंग से खाना भी बेहद जरूरी है। सदैव भोजन धीरे—धीरे व अच्छी तरह चबाकर खाएं । पाचन प्रक्रिया मुहं से ही प्रारंभ हो जाती है और अगर भोजन सही तरह से चबा कर किया जाए तो हमारी आंतो को कम मेहनत करनी पड़ती है। सदैव समय पर आहार लें। सुबह, दोपहर और रात का भोजन समय पर लें। देर रात को भोजन न करें। इससे भी पाचन प्रक्रिया में बाधा आती है। तीनों समय भोजन लें। अगर किसी समय भूख न भी महसूस हो रही हो तो थोड़ा सा ही खा लें। कभी भी अधिक समय तक खाली पेट न रहें। अगर आपका ईटिंग पैटर्न अनियमित है तो आपको मधुमेह होने की भी संभावना बढ़ जाती है। प्रतिदिन आहार में एक समय सलाद को अवश्य शामिल करें व कोई न कोई फल भी अवश्य लें। खाना खाते समय शांतिपूर्ण व अच्छा माहौल होना चाहिए और हमेशा याद रखें कि जीने के लिए खाएं, खाने के लिए न जिएं। कभी भी टी.वी. के सामने बैठ कर न खायें। टी.वी. के सामने बैठ कर व्यक्ति आवश्यकता से अधिक खा लेता है क्योंकि उसका ध्यान भोजन पर कम केन्द्रित होता है, टी.वी. में अधिक, इसलिए भोजन टी.वी. वाले कमरे में कभी भी न करें।