अर्थ संदृष्टि के अनुसार सागरोपम की संहनानी अर्थात चिह्न सा है “ सागरोपम के भी तीन भेद हैं “ १.व्यवहार सागरोपम “ २.उद्धार सागरोपम “ ३.अद्धा सागरोपम “
व्यवहार पल्य x दस कोड़ाकोड़ी = एक व्यवहार सागरोपम उद्धार पल्य x दस कोड़ाकोड़ी = एक उद्धार सागरोपम अद्धा पल्य x दस कोड़ाकोड़ी = एक अद्धा सागरोपम
सूच्यंगुल का विवरण
प्र-१. सूच्यंगुल कैसे उत्पन्न होता है ? उ-अद्धा पल्य की अर्धच्छेद राशि का विरलन करके एक-एक के ऊपर अद्धा पल्य को देकर परस्पर में गुणा करने पर सूच्यंगुल उत्पन्न होता है “ विशेष –एक प्रमाणांगुल प्रमाण लम्बे तथा एक प्रदेश प्रमाण चौड़े ऊँचे क्ष्रेत्र में जितने प्रदेश आवे , उनका प्रमाण सूच्यंगुल है “