पिछले कुछ वर्षों में हृदय रोगों और दिल के दौरे के विषय में लोगों में जागरूकता बढ़ी है किन्तु उससे भी अधिक खतरनाक बीमारी ब्रेन स्ट्रोक के विषय में समाज में अभी उतनी जागरूकता नहीं है जिस कारण लाखों लोग अकाल मृत्यु के शिकार हो जाते हैं या विकलांग हो जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार इस समय देश में ५० लाख लोग इस रोग के शिकार हैं और हर वर्ष लगभग ५ लाख लोगों की मृत्यु इस बीमारी के कारण हो जाती है। यह बीमारी दिमाग को खून ले जाने वाली नसों में अवरोध के कारण होती है। इसके कारण रोगी पक्षाघात का शिकार भी हो सकता है। जी.बी. पन्त अस्पताल के प्रोफेसर एम.एम. मेंहदीरत्ता के अनुसार ब्रेन स्ट्रोक के दौरान नसें काफी कमजोर हो जाती हैं जिसके कारण मिर्गी के दौरे या मरीज के अचानक बेहोश हो जाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। दिमाग को मिलने वाली आक्सीजन की मात्रा में भी कमी हो जाती है। प्रोफेसर मेंहदीरत्ता के अनुसार यदि स्ट्रोक के तीन से छ: घंटे के भीतर इलाज हो जाए तो रोगी को मृत्यु और विकलांगता से बचाया जा सकता है। इस रोग के रोगियों को खून पतला करने की दवाई दी जाती है और खून की कमी के कारण सिकुड़ चुकी नसों को सर्जरी और स्टेंट डालकर उपचार किया जाता है। हृदय रोगियों को ब्रेन स्ट्रोक होने की संभावना अधिक होती है, अत: उन्हें नियमित समय पर अपनी जांच करवानी चाहिए और अपने कोलेस्ट्रोल को काबू में रखने का प्रयास रखना चाहिए। इसके अतिरिक्त मधुमेह या नशा सेवन की प्रवृति भी ऐसे लोगों के लिए घातक हो सकती है।