The 2nd spiritual stage of development (with a type of downfall).
प्रथमोपशम सम्यत्तव के काल में अधिक से अधिक 6 आवली और कम से कम एक समय शेष रहे उस समय किसी एक अनंतानुबंधी कषाय के उदय से सम्यत्तव की विराधना होने पर अवयक्त अतत्व श्रद्धान रूप परिणति। अर्थात् जीव सम्यक्त्व से तो गिर गया किन्तु मिथ्यात्व में अभी तक नहीं पहुॅंचा है।