Right believer in the 2nd stage of spiritual development.
उपषम- सम्यक्त्व से पतित होकर जीव जब तक मिथ्यात्व में नहीं आता तब तक उसे सासादन-सम्यग्दृष्टि जानना चाहिए । यह सासादन (सम्यक्त्व) नामक दूसरा गुणस्थान है।