A procedural observance of relitious eulogical prayers.
सिद्धांत एवं आचार ग्रंथ के स्वाध्याय के समय किया जाने वाला एक कृतिकर्म; सर्वप्रथम सिद्ध-श्रुत भक्ति करके सिद्धांत ग्रंथ की स्थापना करना, फिर श्रुत भक्ति के आचार्य भक्ति करके स्वाध्याय करना तथा अंत में श्रुत व शांति भक्ति पढ़कर स्वाध्याय समापन करना ।