The great Jaina taxts dealing with the fundamentals of Jaina philosophy.
षट्खडागम, महाबंध, कषायपाहुड़ आदि सूत्र रूप जिनागम सिद्धांत ग्रथ है। जिन ग्रंथों के अंत में सिद्धपद का वर्णन गर्भित हो वे सिद्धांत ग्रंथ कहलाते है। इस व्याख्या अनुसार चारों अनुयोग भी सिद्धांत ग्रंथ कहे जा सकते है।