अनिद्रा — आधा लीटर भैंस के दूध में ५ ग्राम अश्वगंध का चूर्ण नियमित लें। निश्चित अनिद्रा रोग समाप्त हो जाता है। वायु से उठने वाला सिरदर्द — नारियल के तेल में अमृतधारा मिलाकर सिर को धीरे—धीरे मालिश करने से वायु से उठने वाला सिर दर्द ठीक हो जाता है। सिर चकराना — २—३ लौंग पानी में उबालकर उस पानी को पिलाने से सिर चकराना बंद हो जाता है।
आधे सिर का दर्द — आधे सिर का दर्द सूर्योदय से पहले गर्म दूध के साथ जलेबी या रबड़ी खायें। यदि सिर दर्द सूर्य के साथ बढ़ता है तो प्रात: सूर्योदय से पहले दही और चावल खाएं, इसमें मिश्री मिलाकर भी खा सकते हैं। आधे सिर का दर्द सूर्योदय के साथ घटता बढ़ता हो तो सुबह—शाम घी सूँघें। सिरदर्द गर्मी से हो तो और बादी से हो तो गर्म घी से मालिश करें। लाभ होगा। आधे सिर का दर्द हो या पूरे सिर का, सोंठ पानी में पीसकर गर्म करके सिर पर लेप करें। इसे सूँघें, लाभ होगा। सिर के जिस आधे भाग में दर्द हो तो उस नथुने में ८ बूँद सरसों का तेल डालकर सूँघने से आधे भाग का सिर दर्द ठीक हो जाता है। यह प्रयोग पाँच दिन तक करें। यदि सिरदर्द में दर्द सूर्य उदय होने के साथ बढ़े और सूर्य ढलने के साथ कम हो जाए तो ऐसे दर्द में उदय होते समय सूर्य के सामने खड़े हो जाए और १५० ग्राम पानी में ६० ग्राम शक्कर मिलाकर धीरे—धीरे पीयें। लाभ होगा।
चक्कर आना — वायु में चक्कर आते हैं या पेट में गैस हो रही हो तो २ लौंग, १ इलायची थोड़ी सी सोंठ लेकर चासनी से चाटने पर तुरन्त आराम हो जाता है। उन्मादरोग पागलपन—चंदभाषा (छोरी चन्दन) २ से ४ रत्ती दिन में दो तीन बार खिलाते रहने से जोशीला जंजीरों से बंधे, मारने वाले और न सोने वाले पागल ठीक हो जाते हैं। चुप रहने वाले पागलों को यह दवा लाभ नहीं देगी। अथवा — मालकाँगनी का तेल २—२ बूंद एक बताशे में डालकर सुबह शाम खाने से मस्तिष्क के सभी रोग पागलपन आदि ठीक हो जाते हैं। रोगी को खूब नींद आती है।
अनिद्रा — पैरों के तलुवों में तेल की मालिश करने से उनमें स्थिरता रहती है। नींद अच्छी आएगी। १० ग्राम सौंफ आधा किलो पानी में उबालें, चौथाई पानी रहने पर छानकर २५० ग्राम दूध और १५ ग्राम घी स्वादानुसार चीनी मिलाकर सोते समय पिलाऐं। रात को सोते समय दूध से बना मावा या खोवा ५० ग्राम खाने से नींद अच्छी आती है। रात्रि को सोते समय एक गिलास दूध में शक्कर व एक चम्मच घी मिलाकर पियें नींद शीघ्र आएगी। जायफल को पानी में या घी में घिसकर पलकों पर लगाने से नींद अच्छी आती है। दही में पिसी हुई काली मिर्च, सौंफ तथा चीनी मिलाकर खाने से नींद आ जाएगी। नींद न आने पर सोने से पहले १० मिनट तक गरम पानी में पिंडलियों तक दोनों पैर रखने चाहिए। इसे उष्ण—पाद स्नान कहते हैं। यदि चक्कर आते हों तो सिर पर गीला रुमाल रखना चाहिए। गर्मियों में ठंडे पानी से पैर धोकर सोने से निद्रा अच्छी आती है।
अतिनिद्रा —जिसे निद्रा अधिक आए, हर समय नींद सुस्ती रहे, उसे १० ग्राम सौंफ को आधा किलो पानी में उबालकर चौथाई रहने पर थोड़ा नमक मिलाकर सुबह—शाम ५ दिन पिलायें—इससे नींद कम आएगी। इलाहाबादी मीठे अमरूद २५० ग्राम प्रात: नींबू, काली मिर्च, नमक स्वाद के लिए अमरूद पर डालकर खा सकते हैं। इससे मस्तिष्क की माँसपेशियों को शक्ति मिलेगी। गर्मी निकल जाएगी, पागलपन दूर होगा। मानसिक चिंताये अमरूद खाने से दूर होती हैं। पित्त (गर्मी) के कारण पागलपन हो तो शाम को एक छटाँक चने पानी में भिगों दें। प्रात: पीसकर खाँड और पानी में मिलाकर एक गिलास छानकर पीने से लाभ होता है। चने की भीगी हुई दाल का पानी पिलाने से भी पागलपन ठीक हो जाता है। १२ कालीमिर्च, तीन ग्राम ब्राह्मी की पत्तियाँ पीसकर आधा गिलास पानी में छानकर नित्य दो बार पियें। यदि वहम की तीव्रता से पागलपन हो तो तरबूज के रस का एक कप, दूध एक कप, मिश्री तीस ग्राम मिलाकर, एक सफेद बोतल में भरकर रात को खुले में चाँदनी रात में किसी खूंटी से लटका दें। प्रात: भूखे पेट रोगी को पिला दें। ऐसा २१ दिन करने से वहम दूर होगा।
सिरदर्द — ललाट, कनपटियों, सिर के पीछे के भाग, ऊपर के हिस्से, सारे सिर में कहीं भी हो सकता है।
सिरदर्द के कारण — मस्तिष्क की शिराओं में रक्तसंचय से सिर दर्द होता है। रक्तभार की वृद्धि होने से लगातार सिरदर्द रहने का लक्षण रहता है। रक्तभार कम होने से मस्तिष्क को रक्त ऑक्सीजन कम मिलने से सिर दर्द होता है।ज्वरों में सिर दर्द मस्तिष्क के धमनियों के फैल जाने से होता है। क्रोधादि तीव्र मानसिक आवेश से कपाल की धमनियों में शैशिल्य होकर सिरदर्द होता है। चिन्ता से रहने और कपाल की माँसपेशियों में तनाव बढ़ जाने से सिरदर्द होता है। जो पिछले भाग में होता है। नींद कम आने, न आने से सिरदर्द होता है। रक्त में विष जैसे मूत्र रोग, कब्ज, अपच से उत्पन्न प्रभाव से सिरदर्द हो जाता है। मस्तिष्क में अर्बुद, शोश जलवृद्धि से सिर दर्द होता है। नेत्र रोग, नेत्रों की कमजोरी, कान, नाक, गले, दाँतों के रोगों से सिर—दर्द होता है। कोई सिराप्रसारक औषधि खाने से, शरीर में कोई बहाने प्रतिकूल प्रोटीन आने से सिरदर्द होता है। लगातर रहने वाले सिर—दर्द के कारण अम्लपित्त और नेत्रों के रोग हैं। जुकाम से सिरदर्द हो तो दोनों पैरों को गर्म पानी में रखने से आराम मिलता है। रक्तभार की अधिकता से तेज सिर दर्द हो तो सिर पर पानी की पट्टी रखें। नींबू चाय में निचोड़कर पीने से लाभ होता है। नींबू की पत्तियों को कूटकर, रस निकाल कर रस को सूँघें। जिन्हें हमेशा सिर दर्द रहता है, वे यह उपाय करें। इससे सदा के लिए सिर दर्द ठीक हो जाएगा। नींबू की पत्तियों को सुखाकर प्रतिदिन प्रात: सूँघने और चाय पीने से बहुत लाभ मिलेगा। नारियल की सूखी गिरी और मिश्री सूर्य उगने से पहले खाने से सिर दर्द बन्द हो जाता है। ५० ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगोकर मल कर चीनी डालकर छान कर सुबह—शाम दो बार पीने से गर्मी से उत्पन्न सिरदर्द में लाभ होता है। पित्त प्रकोप के कारण होने वाले सिरदर्द में फालसे का शर्बत सुबह—शाम पीना लाभप्रद होता है” रात को सोते समय पैर की तलियों पर घी की मालिश करने से अचानक होने वाला सिर दर्द ठीक हो जाता है। ठंड से सिर दर्द हो, ठंडे पानी से स्नान करने से, ठंडी हवा में घूमने के कारण सिर दर्द हो तो नाक, कान, नाभि और तलुवों पर सरसों का तेल लगाएं, लाभ होगा। एक चम्मच सौंफ चबाकर दूध पियें। लाभ होगा। पुराने सिरदर्द के रोगी नित्य ही दो बार सेवन करें। लौंग को पीसकर लेप करने से तुरन्त लाभ होता है। इसका तेल भी लगाया जाता है। पाँच लौंग पीसकर एक कपड़वाले सिर दर्द में धनिया पीस कर लेप करने से लाभ होता है। एक चुटकी नमक जीभ पर रखें, दस मिनट बाद एक गिलास ठण्डा पानी पियें, सिर दर्द ठीक हो जाएगा। २ ग्राम जल में ३ ग्राम या चने के बराबर नमक मिलाकर उस पानी को सूँघने से लाभ होता है। इलाइची पीसकर सिर पर लेप करने से लाभ होता है। इसके चूर्ण को सूँघना चाहिए। सूँघने से छींके आकर सिर दर्द धीरे—धीरे कम होता है। सर्दी लगने से सिर दर्द हो तो ललाट पर जायफल घिसकर लेप करने से लाभ होता है। गीली मिट्टी की पट्टी सिर पर रखने से लाभ होता है” स्मरण—शक्तिवर्धक—जिन व्यक्तियों के मस्तिष्क और स्नायु दुर्बल हो गए हो, विद्यार्थियों को याद न रहता हो, सेब के सेवन से स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। इसके लिए एक या दो सेब बिना छीले चबा चबा कर भोजन से १५ मिनट पहले खायें। सिर पर घी की मालिश करने से स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। सौंफ को हल्की—हल्की कूट कर ऊपर के छिलके उतार कर छान लें। इस तरह अन्दर की मींगी निकालकर एक चम्मच सुबह शाम दो बार ठंडे पानी से या गर्म दूध से फाँकी लें। इसके सेवन से स्मरण शक्ति बढ़ती है, मस्तिष्क में शीतलता रहती है। १० ग्राम ब्राह्मी चूर्ण २५० मिली. दूध से ४१ दिन तक लेवें।
मिरगी—करीब ५० पत्ते करौंदे के पीस कर छाछ में मिलाकर नित्य १५ दिन पीने से आराम लग जाता है। यह प्रयोग पित्तजनित मिरगी में विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध हुआ है। पित्तजनित मिरगी का दौरा १५ दिन में पड़ता है। राई पीसकर सुँघाने से मिरगी की बेहोशी दूर हो जाती है। काली मिर्च पानी में पीसकर तीन बूंद नाक के नथुने में डालने से होश आ जाता है। तुलसी के हरे पत्तों को पीसकर मिरगी वाले के सारे शरीर पर प्रतिदिन मालिश करने से लाभ होता है। २१ जायफलों की माला पहनने से मिरगी रोग में लाभ होता है।
पक्षाघात, अर्धांगघात — उड़द और सोंठ का पानी चाय की तरह उबालकर उनका पानी पक्षाघात के रोगी को पिलायें। नित्य प्रात: नाक के दोनों नथुनों में अखरोट का तेल लगाने से लकवा ठीक हो जाता है। बहुत बारीक पिसी हुई काली मिर्च एक चम्मच और तीन चम्मच देशी घी मिलाकर लकवाग्रस्त अंगों पर लेप करें। तुलसी के पत्ते उबालकर रोगग्रस्त अंग को भाप देने से, धोने से लाभ होता है। तुलसी के पत्ते, सेंधा नमक, दही सबको पीसकर लेप करें। लाभ होगा। लकवा होने पर सेब, अंगूर, नासपत्ती के रसों को समान मात्रा में मिलाकर कुछ महीनों तक पीने से लकवा ठीक हो जाता है। बच्चों को लकवे से बचाने हेतु शक्कर नहीं खिलाएं।’