One of the 53 auspicious activities (related to obtaining heavenly state of Indra).
गर्भान्वय की 53 क्रियाओं में इन्द्र पद की प्राप्ति कराने वाली 36 वीं क्रिया । इस क्रिया से पुण्यात्मा श्रावक इन्द्र के समान योग्य सुख भोगते हुए देवलोक में रहता है।