Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
सुनते हैं चन्दा की शीतल, किरणों से अमृत झरता है!
June 16, 2020
भजन
jambudweep
सुनते हैं चन्दा की
सुनते हैं चन्दा की शीतल, किरणों से अमृत झरता है।
चाँदनी स्वयं विकसित करके जग को आलोकित करता है।।
कुछ मन्द मन्द मुस्कान लिये, मानो वह हमें बुलाता है।
जग को आलोकित करने का, वह पाठ हमें सिखलाता है।।१।।
उस चन्द्र चाँदनी की शीतल, छाया मैना को प्राप्त हुई।
निज ज्ञान किरण को विकसित कर, जन-जन मानस में व्याप्त हुई।।
जब सोलह कला पूर्ण करके, शशि शरदऋतू में उदित हुआ।
दो चन्द्र चकोर मिलन लखकर, दिन शरद पूर्णिमा विदित हुआ।।२।।
चन्दा तो केवल निशिवासर, निशि में प्रकाश दरशाता है।
यह चाँद अनोखा रात्रि दिवस, सर्वदा रश्मि बिखराता है।।
नहिं अतिशयोक्ति होगी यदि हम, यह कहें कि आज धरातल पर।
ब्राह्मी माँ की साकार मूर्ति, है ज्ञानमती माँ के अन्दर।।३।।
बीसवीं सदी की प्रथम देन, अबला से सबला मान्य हुई।
गौरव द्विगुणित कर धर्मनीति का, बालसती यह प्रथम हुईं।।
साहित्य सृजन के अनुपम क्रम में, वर्तमान गौरवशाली।
इस ज्ञानगंग की धारा से, भारत की रज प्रतिभाशाली।।४।।
इन शब्द प्रसूनों की अंजलि से, स्वागत क्या कर सकते हैं।
कस्तूरी की इस सौम्य सुरभि को, नहीं छिपा हम सकते हैं।।
अवनीतल का आँचल माँ के, साये से कभी न सूना हो।
‘चंदनामती’ तप ज्ञान व संयम, का प्रकाश दिन दूना हो।।५।।
Tags:
Gyanmati mata ji
Previous post
ज्ञानमती माँ आईं प्रभु जी के द्वार!
Next post
निधियाँ कई दे दी हैं अयोध्या को मात ने!
Related Articles
श्री ज्ञानमती माताजी का परिचय (मुख्य)
January 16, 2023
jambudweep
On The Path To Salvation Of Soul
February 9, 2023
jambudweep
श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा अमृत संदेश
June 7, 2022
Surbhi Jain
error:
Content is protected !!