तर्ज—सुनो रे……………………….
सुनो रे सुनो गंधोदक की महिमा-२ जिनके न्हवन से पावन हुआ जल,
मंदिर में है वह प्रतिमा।। सुनो रे……।। टेक.।।
मैना सुन्दरी ने गंधोदक, से पतिकुष्ट मिटाया।
अन्य सात सौ राजाओं को, रोगमुक्त करवाया।।
गुरुमुख से जानी थी उसने, सिद्धचक्र की गरिमा।। सुनो रे……।।१।।
एक धनन्जय नामक कवि ने, गंधोदक का फल पाया।
अपने सुत पर चढ़े सर्प विष, को भी दूर भगाया।।
उन्होंने कर डाली तब, विषापहार स्तोत्र की रचना।। सुनो रे……।।२।।
ज्ञानमती माताजी ने, बाल्यावस्था में दर्शाया।
अपने दो भ्राताओं को चेचक, महामारी से बचवाया।।
गन्धोदक को लगाकर उन्होंने, बतलाई उसकी महिमा।। सुनो रे……।।३।।
एक नहीं कितनी ही कथाएँ, ग्रन्थों में बतलाई हैं।
तन मन पावन करने की, महिमा इसमें दर्शाई है।।
इसीलिए ‘चंदनामती’ तुम, जानो उसकी महिमा।। सुनो रे……।।४।।