
श्री सुपार्श्व के चरण कमल में, गणधर गुरु शिर नाते।
सीतानदि शीतल नीर, प्रभुपद धार करूँ।












केला एला बादाम, फल से पूजूँ मैं। 

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right”70px”]] ॐ ह्रीं भाद्रपदशुक्लाषष्ठ्यां श्रीसुपार्श्वनाथजिनगर्भकल्याणकाय अर्घं निर्वपामीति स्वाहा।
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right”70px”]] ॐ ह्रीं ज्येष्ठशुक्लाद्वादश्यां श्रीसुपार्श्वनाथजिनजन्मकल्याणकाय अर्घं निर्वपामीति स्वाहा।
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right”70px”]] ॐ ह्रीं ज्येष्ठशुक्लाद्वादश्यां श्रीसुपार्श्वनाथजिनदीक्षाकल्याणकाय अर्घं निर्वपामीति स्वाहा।
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70px”right]] ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णाषष्ठ्यां श्रीसुपार्श्वनाथजिनकेवलज्ञानकल्याणकाय अर्घं निर्वपामीति स्वाहा।
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70px”right”]] ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णासप्तम्यां श्रीसुपार्श्वनाथजिनमोक्षकल्याणकाय अर्घं निर्वपामीति स्वाहा।
श्री सुपार्श्व तीर्थेश के, चरण कमल जगवंद्य। 
