Name of a Ganini Aryika, the disciple of Acharya Shri Veersagar Maharaj of the tradition of Charitra Chakravarti Acharya Shantisagar Maharaj.
चारित्र चक्रवर्ती आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज की परम्परा में प्रथम पटटाधीश वीरसागर जी महाराज की शिष्या (दीक्षित सन 1957), एक गणिनी आर्यिका । इन्होंने आचार सार, राजवार्तिक आदि अनेक ग्रंथो की हिन्दी टिकाएं लिखी है। इनकी प्रेरणा से सम्मदशिखर में मध्यलोक शोध संस्थान का निर्माण हुआ है।