An auspicious activity of worshipping of Lord Arihant in the 5th month of pregnancy.
गर्भान्वय की 53 क्रियाओ में तीसरी क्रिया । यह क्रिया गर्भाधान के 5 वे महीने में भगवान अर्हत की पूजा आदि करके की जाती है।