सम भूमितल में भद्रशाल वन के पास विस्तार १०,००० योजन प्रमाण है क्रम से घटते हुए नंदन वन के पास बाह्य भाग में ९९५४-६/११ योजन है। नंदन वन के अभ्यंतर भाग में ९९५४-६/११ योजन प्रमाण है। आगे क्रम से घटते हुए सौमनस वन के पास बाह्य भाग में ४२७२-८/११ योजन एवं उसी वन के अभ्यंतर भाग में ३२७२-८/११ योजन है। आगे घटते-घटते पांडुक वन के बाह्य भाग में १००० योजन एवं अभ्यंतर भाग में ४९४ योजन की कटनी होने से १२ योजन मात्र रह गया है जो कि चूलिका का विस्तार मात्र है।