अगर घाव में सूजन हो , तो रेंड (एरण्ड) के पत्ते का तेल लगाकर गर्मकर बांध दें। सूजन खत्म हो जायेगी। शरीर में सूजन आ जाने पर अनानास का एक पूरा फल प्रतिदिन खाने से आठ दस दिनों में ही सूजन कम होने लगती है तथा पन्द्रह बीस दिनों में पूर्ण लाभ हो जाता है। अगर फोड़े को जल्दी पकाना हो तो अरहर की दाल, पानी के साथ पीसकर, थोड़ा नमक मिलाकर गर्म करके फोड़े पर बांध देना चाहिए। अगर फोड़ा निकला हो, तो एक भुने प्याज की तीन परत लें। उस पर पिसी हुई हल्दी रखकर गरम कर दें। गरम करके फोड़े पर रखकर उस पर पीपल का पत्ता लगाकर बांध दें। दिन में दो बार बांधे। फोड़ा या तो बैठ जाएगा या फूट जाएगा। नारियल की सूखी पुरानी गरी एक भाग और हल्दी चौथाई भाग दोनों को महीन कूटकर पोटली में बांध दें, तो राहत मिलती है। कच्ची गाजर का रस ५० ग्राम प्रतिदिन पीने से फोड़े फुन्सी आदि नहीं होते। पुदीने का अर्क मिलाकर नाक, कान तथा अन्य अंगों के घाव पर टपका देने से कीड़े नष्ट हो जाते हैं। ६ ग्राम पुदीना को पीस छानकर १०० ग्राम चूने के पानी के साथ मिलाएं। कुछ दिनों तक इसका प्रयोग निरंन्तर करने से पिण्डलियों की रगों का फूलना कम हो जाता है। हरी मकोय के अर्क में अमलतास के गूदे को पीसकर सूजन वाली जगह पर लेप करने से सूजन कम हो जाती है।
ग्वारपाठे के टुकड़े को एक
ग्वारपाठे के टुकड़े को एक ओर से छीलकर उस पर थोड़ी सी पिसी हुई हल्दी छिड़के तथा आग पर गरम करके सूजन वाले स्थान पर बांध दें, तो सूजन कम हो जाती है। इसे तीन चार बार बांधना चाहिए। नीम के हरे पत्ते १५ ग्राम लेकर खूब महीन पीस लें। इसकी लुगदी की एक टिकिया बना लें फिर उस तेल में नीम की टिकिया को भली भांति घोंट दें। इस प्रकार मलहम तैयार हो गया , उसे किसी चौड़े मुंह वाली शीशी में रख लें। ६ ग्राम कपूर खूब महीन पीसकर उसमें अच्छी तरह मिला दें। इस नीम के मलहम को फोड़ा—फुन्सी, घाव आदि पर दिन में दो तीन बार लगाने से , जल्दी ठीक हो जाते है। तंबाकू के हरे पत्तों को कुचलकर उनका रस निकाल लें, फिर उस रस को समभाग तिल के तेल में मिलाकर आग पर पकाएं। जब केवल तेल शेष रह जाए, तब उतार कर छान लें। इस तेल को घाव, पर लगाने से वह शीघ्र भर जाता है। तम्बाकूके हरे पत्तों को भी आग पर सेंककर बांधने से अण्डकोषों की सूजन दूर हो जाती है। यदि हरा पत्ता न मिल सके । तो सूखे पत्ते पर पानी छिड़ककर, उसे मुलायम कर लें। तत्पश्चात उस पर तिल का तेल चुपड़कर आग पर गर्म करें और अण्डकोशों पर बांध दें।पीपल के पत्तों पर घी चुपड़कर आग पर गरम कर लें फिर उन्हें फोड़ा फन्सी पर बांधें, तो फोड़ा—फुन्सी बहुत जल्दी पक कर फूट जाते हैं तथा ठीक हो जाते है। आक के पत्तों पर तिल का तेल चुपड़ लें फिर उन्हें आग पर गरम करके गठिया के दर्द वाले जोड़ों पर बांध दें। दो चार बार बांधने से सूजन तथा दर्द दोनों दूर हो जाते हैं। जिस स्थान पर फोड़ा निकल रहा हो, वहां पर धतूरे के पत्तों को आग पर गरम करके बांध देने से फोड़ा या तो वहीं बैठ जाता है या फिर जल्दी पककर फूट जाता है। भिलावे का काला रस शरीर के जिस स्थान पर लग जाता है, वह भाग सूज जाता है। उस सूजन को दूर करने के लिए तिल का तेल लगाना चाहिए।यदि संपूर्ण शरीर सूज गया हो तो संपूर्ण शरीर पर मालिश करने के अतिरिक्त ४०—५० ग्राम तिल का तेल पी लेने से शीघ्र लाभ होता है। अमरबेल को पानी में डालकर उबाल लें। उस पानी से सूजन वाले स्थान की सिकाई करें तथा उबली हुई बेल को कुचलकर सूजन वाले स्थान पर बांध दें। कुछ दिनों तक इसके नियमित प्रयोग से सूजन पटक जाती है। यदि सूजन पकने वाली हुई तो चार पांच बार बांधने से पककर फूट जाती है। ाqगलोय का काढ़ा बनाकर पिलाने से फोड़े—फुन्सी तथा अनेक प्रकार के चर्मरोग दूर हो जाते हैं। साफ सूती कपड़े को जलाकर उसकी राख साधारण घाव पर छिड़ककर दबा देने से खून का बहना बंद हो जाता है तथा घाव भी जल्दी सूख जाता है। चिरचिटा (अपामार्ग) के पत्तों का भी उपयोग इस बीमारी में किया जाता रहा है।