सूर्य का विमान ४८/६१ योजन, चंद्र का ५६/६१ योजन, शुक्र का १ कोस ताराओं के सबसे छोटे विमान १/४ योजन मात्र का है। इन सभी विमानों की मोटाई अपने विस्तार से आधी है। चंद्र विमान के नीचे ४ प्रमाणांगुल जाकर राहु के विमान एवं सूर्य के नीचे केतु के विमान हैं। ये विमान अरिष्टमणि के काले हैं। राहु, केतु के विमान ६-६ महीने में पूर्णिमा एवं अमावस्या को क्रम से चंद्र, सूर्य के विमानों को ढंक देते हैं। इसे ही ग्रहण कहते हैं।