Name of the 8th chief disciple of Lord Rishabhnath. Name of a particular person of Jaina History.
तीर्थकर वृषभनाथ के 8 वें गणधर। एक सेठ जिन्होंने जिनदत्त सेठ से आकाशगामिनी वि़द्या को सिद्ध करने का उपाय सीखा, परन्तु अस्थिर चित्त के कारण सिद्ध न कर सके, उसको विद्युच्चर चोर ने सिद्ध किया ।