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स्यादस्ति नास्ति – Syaadasti Nasti.
The third Bhang of saptbhangi-exposition of the nature of substance in the aspect of affirmation & negation, eg. The nature of the fire is hot and is not cold.सप्तभंगी का तीसरा भंग-किसी अपेक्षा से है, किसी अपेक्षा से नही है (पदार्थ के धर्म से सम्बन्धित कथन) अर्थात् स्वचतुष्टय (द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव) की अपेक्षा द्रव्य कथंचित् आस्ति रुप है अौर वही द्रव्य परचतुष्टय की अपेक्ष कथंचित् नास्ति रुप है। जैसे अग्रि का स्वभाव गर्म है ठंड़ा नही।