स्वाइन फ्लू क्या है ? यह एक जानलेवा तीव्र संक्रामक व्याधि है, यह सुअर के मांस से एक संक्रामक कीटाणु के द्वारा पहियालने वाली बीमारी है, यह अमेरिका से अपने देश में आयात हुई है।
बहुत जल्दी बुखार तेजी से बढ़ने लगता है, तत्काल १०५ डिग्री से ऊपर पहुँच जाता है, सिरदर्द, पेटदर्द, जुकाम, नासा स्राव, वमन, बदन दर्द, सूखी खांसी, दम फूलना, श्वास लेने में तकलीफ, कमजोरी, गले में घुटन महसूस होना, सुस्ती आना, चलने—फिरने में तकलीफ, पेशाब में हल्की—हल्की जलन होना, रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी, रेड सेल्स (होमोग्लोबिन) की मात्रा का तेजी से घट जाना आदि। ५-६ साल से कम आयु के बच्चों तथा ६५ वर्ष से अधिक उम्र के बड़े लोगों में सांस लेने में तकलीफ अधिक होती है तथा छोेटे बच्चों, किडनी, एड्स, मधुमेह, अस्थमा, हृदयरोगी, मोटे लोगों तथा जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होती है, उनमें इस रोग के कीटाणु शीघ्र संक्रमित हो जाते हैं। संक्रमण के बाद यदि रोगी को शीघ्र समुचित चिकित्सा उपलब्ध न हो पाए तो उसकी ३ से ६ दिनों के अंदर दम घुटकर मृत्यु भी हो सकती है।
रोगी के परिचारक को एक विशेष मास्क जिसका नाम है–एम—९५ मास्क पहनना चाहिए। जन सामान्य को भी घर से बाहर जाने पर साधारण मास्क पहनना चाहिए या रूमाल मुँह पर बांधना चाहिए। पसीना आने पर चेहरे को टीशू पेपर से पोछना चाहिए। २४ घण्टे के बाद मास्क बदल कर, उसे कीट मुक्त करके धारण करना चाहिए। मद्यपान न करें, इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता छूटती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता की शरीर में कमी न होने पाए। इसके लिए आवला, गिलोय, नींबू, तुलसी और नीम का सेवन हितकर रहेगा, पानी ज्यादा पिएँ। भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में जाने से बचें तो बेहतर रहेगा। यदि किसी संक्रमित रोगी के पास जाना पड़े तो उससे यथासंभव, सावधानीपूर्वक लगभग २ मीटर की दूरी बनाए रखें और उसे छूने से बचें। यदि घर में कोई ऐसा रोगी होने की आशंका हो तो तत्काल निकट के सरकारी अस्पताल ले जाएं। रोगी को अन्य लोगों से अलग कमरे में रखें। घर में गाय के उपलों में गुग्गल, नीम के सूखे पत्ते तुलसी के सूखे पत्ते, कपूर मिलाकर धूप करें। घर की फिनायल से धुलाई करें। रोगी से मिलने के बाद कीटनाशक साबुन, सैवलोन आदि से लगभग ३० सेकेण्ड तक हाथ धोएं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण प्रतीत होने पर या आशंका होने पर निम्न आयुर्वेदिक उपचार करें किन्तु संक्रमित रोगी का यदि अस्पताल में इलाज चल रहा है तो उसे बंद न करें। उसके साथ निम्न आयुर्वेदिक उपचार भी यदि देते रहें, तो और अच्छा होगा, जिनको स्वाइन फ्लू नहीं है, मौसमी बुखार या खांसी—जुकाम या श्वास फूलने की शिकायत है, वे भी निम्नौषधि का सेवन कर लाभ उठा सकते हैं। आंवला चूर्ण २ ग्राम, हल्दी चूर्ण १ ग्राम, ताजी गिलोय १० ग्राम, तुलसी के पत्ते ५ कालीमिर्च १ दाना, का प्रयोग करें।
उपर्युक्त सभी औषधियों को २०० ग्राम पानी से उबालें, जब ५० ग्राम पानी रह जाए, तब छानकर स्वांग शीतल कर सेवन करें। यदि चाहें तो इसमें उचित मात्रा में शहद मिला सकते हैं किन्तु मधुमेह रोगी के लिए शहद न मिलाएं, दिन में लगभग तीन बार (सुबह, दोपहर, शाम) सेवन करें। हर बार यदि संभव हो तो ताजा काढ़ा बनाकर ही सेवन करें यदि ऐसा कर पाना संभव न हो तो सुबह एक बार ही तीनों मात्रा बना लें और दूसरे दिन फिर उसे ताजा बनाकर सेवन करें।
हिन्दू विश्व मार्च २०१५